Gautam Buddha Long Motivational Story In Hindi: गौतम बुद्ध की कहानियां हमें जीवन के महत्वपूर्ण सिद्धांतों के बारे में समझाती है और हमें यह सिखाती है कि सत्य, कर्म, और सहनशीलता की शक्ति से हम किसी भी विपरीत परिस्थिति में पराजित नहीं हो सकते हैं। गौतम बुद्ध के जीवन की कहानिया हमें ध्यान और ध्यान की महत्वता के बारे में शिक्षा देती है, जो एक शांत, उदार, और संतुलित जीवन की दिशा में हमें मार्गदर्शन करती है। गौतम बुद्ध की कहानियां हमें समझाती है कि सत्य, संयम, और ध्यान से हम अपने जीवन को शांत और संतुलित बना सकते हैं। उनकी कहानी हमें जीवन के उच्चतम आदर्शों की ओर प्रेरित करती है।
Gautam Buddha Long Motivational Story In Hindi
1. दान
चीन के चांग चु नामक प्रदेश में एक मठ था। जहा के महंत काफी ज्ञानी और कर्मठ थे। एक दिन उन्होंने अपने शिष्यों को बुलाकर भगवान बुद्ध की मूर्ति बनवाने की इच्छा प्रकट की और महंत ने अपने शिष्यों से कहा इस कार्य के लिए आप सभी घर-घर जाकर धन संग्रह कीजिए।
धन संग्रह करते वक्त किसीसे भी बल या अपशब्दों का प्रयोग ना करे जो वे अपने मर्जी या इच्छा नुसार दे वही ले और इस शुभ कार्य हेतु धन भी शुद्ध ही होना चाहिए।
अपने महंत के आज्ञा का पालन करते हुए सभी शिष्य अलग-अलग दिशावों में निकल पड़े और इस कार्य को करते हुए एक शिष्य को टिन्नू नाम की एक बालिका मिली और उसके पास एक सिक्का था।
जब उसे भगवान बुद्ध के प्रतिमा की मूर्ति निर्माण के धन संग्रह के बारे में पता चला तभी उसने श्रद्धा वश अपना सिक्का दान करना चाहा किन्तु शिष्य ने उसे अति तुच्छ समझकर लेने से इंकार कर दिया।
कुछ दिन बाद सभी शिष्य धनराशि लेकर मठ में एकत्रित हुए और महंत ने मूर्ति का निर्माण आरंभ करवाया परंतु बहोत प्रयास के बाद भी मूर्ति संपूर्ण नहीं हो पा रही थी और हर बार कोई ना कोई कमी जरूर रह जाती थी।
इसपर महंत को संदेह हुआ और उन्होंने अपने शिष्यों से धन संग्रह के बारे में पूछा तभी सभी शिष्यों ने बारी-बारी से अपने अनुभव सुनाये इसी तरह सामने उस बालिका टिन्नू का प्रसंग आया तो महंत पूरी बात समझ गए।
महंत ने शिष्य को उसके गलती के बारे में बताया और शिष्य अब उस बालिका के पास गया और उससे माफ़ी मांगते हुए उसके सिक्के को आदर पूर्वक ले लिया और वह सिक्का लेकर मठ आया।
महंत ने उस सिक्के को अन्य धातुवों के घोल के साथ मिला दिया और सहज ही एक अति सुंदर मूर्ति का निर्माण हुआ। गौतम बुद्ध के मूर्ति की यह कहानी श्रद्धा पूर्ण दान के महत्व को प्रस्थापित करती है।
शिक्षा:
दान अल्प मात्रा में किया जाए पर यदि वह संपूर्ण श्रद्धा भाव से किया गया तो जरूर सार्थक रूप में प्रतिफलित होता है और असीम पुण्यों का प्राप्त करता है।
2. बुद्ध की शिक्षा
एक गांव में एक छोटी सी नदी थी उसके दोनों किनारे के तरफ लोग रहते थे। नदी के पानी से लोग अपना-अपना काम चलाते थे और अपना सुखी जीवन बिताते थे।
एक बार नदी के पानी को लेकर नदी के किनारे रहने वाले दोनों पक्षों के लोगों में झगड़ा हुआ और वे दोनों पक्ष एक दूसरे पर आरोप लगा रहे थे की तुम ज्यादा पानी ले रहे हो।
जब दोनों पक्षों में आपसी बातचीत में मामला नहीं निपटा तो वे मरने मारने पर उतारू हो गए। उनके पास जो भी हथियार थे उन्हें तत्काल निकाल लाए और एक दूसरे को मारने लग गए।
तभी किसी ने जाकर भगवान बुद्ध को सुचना दी और उन्होंने दोनों पक्षों के मुखिया को बुलाया और लढाई का कारण पूछा तभी दोनों मुखिया ने अपना-अपना पक्ष रखा और बुद्ध ने दोनों की बाते शांति से सुनी।
कुछ देर बाद गौतम बुद्ध ने मुस्कुराते हुए कहा तो तुम लोग क्या करोंगे तभी दोनों पक्षों के मुखियोने आवेश में आकर कहा हम खून की नदिया बहा देंगे। तभी भगवान बुद्ध ने कहा तो तुम्हे खून की नदिया चाहिए तभी दोनों मुखिया हतप्रभ होकर भगवान बुद्ध की और देखकर बोले नहीं हमे पानी चाहिए।
तब सहज भाव से बुद्ध ने कहा अगर तुम खून बहावोंगे तो तुम्हे खून ही मिलेंगा पानी नहीं और कुछ देर रुकर गौतम बुद्ध आगे बोले हिंसा सिर्फ हिंसा को ही बढाती है और बैर सिर्फ और सिर्फ बैर को ही बढ़ाता है।
नदी से ही सिख लो वह कभी किसी से लढती नहीं और वह प्यार से अपने जल का सभी के लिए दान करती है। बुद्ध के इन शब्दों ने जादू जैसा काम किया और दोनों पक्षों के तनाव का समाधान आसानी से हो गया। दोनों पक्ष अब मिल बात कर नदी के पानी का उपयोग करने लगे।
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3. बुराई
गौतम बुद्ध एक बार अपने शिष्यों के साथ प्रवास पर निकले और एक नगर से दूसरे नगर जाने के रास्ते में एक वन पड़ता था। वन क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद बुध्द कुछ देर चलने के बाद बुद्ध एक जगह रुक गए।
उनके पीछे चल रहे शिष्यों समहू भी उन्हें देख उसी स्थान पर रुक गए मगर शिष्यों के लिए वहा खड़ा रहना शिष्यों के लिए मुश्किल हो गया क्यूंकि वहा एक शव पड़ा हुआ था।
उस शव की दुर्गन्ध वहा के वातावरण में फ़ैल रही थी तभी शिष्यों ने वस्त्रों से अपनी नाक बंद कर ली पर बुद्ध शव की ओर ही देखते रह गए। एक शिष्य ने साहस कर गौतम बुद्ध से कहा भगवान यहाँ से जल्दी चलना ही उचित होगा और यहाँ जो शव पड़ा है उससे बहुत ही दुर्गन्ध आरही है।
बुद्ध मुस्कुराते हुए सभी शिष्यों से बोले बताए इन सब में सौंदर्य दिखाई देता है। तभी शिष्य बोले भगवंत ये कैसा प्रश्न है पर हां शव में जीवन था तब तक सौंदर्य था और मृत्यु के बाद वही सौंदर्य समाप्त हो गया। तभी बुद्ध ने शव की और इशारा करते हुए कहा जब कभी यह व्यक्ति जीवित रहा होगा तब इसके दंत बहुत ही सुंदर रहे होंगे।
मृत्यु के बाद भी इसके दंत देखकर यही साबित होता है तभी बुद्ध की यह बात सुनकर सभी शिष्योंने शव की ओर देखा और पाया की बुद्ध सही कह रहे थे। तब शिष्यों को भान हुआ की शव में भी अच्छाई हो सकती है।
शिक्षा:
सौंदर्य निर्जीव वस्तु में भी नजर आ सकता है लेकिन इसके लिए दॄष्टि गौतम बुद्ध के समान बुराई में भी अच्छाई देखने वाली होनी चाहिए। गुलाब की एक शाखा में फूल की तुलना में कांटे ही अधिक होते है लेकिन हम फूल ही चुनते है कांटे नहीं और ठीक इसी तरह किसी में भी उसकी सौ बुराइयों में भी अच्छाई देखनी चाइए।
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4. सच्चा समर्पण
एक राजा गौतम बुद्ध का दर्शन करने अपने पास का एक आभूषण लेकर आया था। गौतम बुद्ध उसके इस अमूल्य भेट को स्वीकार करेंगे इसके बारे में उसे शंका थी इसीलिए वह अपने दूसरे हाथ में वह राजा एक सुन्दर गुलाब का फूल भी लेकर आया था।
राजा को लगा भगवान बुद्ध इसे अस्वीकार नहीं करेंगे और गौतम बुद्ध से मिलाने के बाद जैसे ही उसने अपना हाथ में रखा रत्न जड़ित वह अमूल्य आभूषण आगे बढ़ाया तो मुस्कुराकर बुद्ध ने राजा से कहा इसे निचे फेंक दो।
राजा को बुद्ध की यह बात सुनकर बुरा लगा और उसने वह अमूल्य आभूषण जमीं पर फेक दिया पर उसने अपने दूसरे हाथ में पकड़ा हुआ सुंदर गुलाब का फूल बुद्ध को देने के लिए अपना हाथ आगे किया और उसने सोचा की गुलाब में सुंदरता और कुछ आध्यात्मिकता शामिल है तो बुध्द इस गुलाब के फूल को जरूर स्वीकार करेंगे।
तभी बुद्ध ने राजा से कहा इसे निचे गिरा दो अब राजा परेशान हुआ वह बुद्ध को कुछ देना चाहता था पर अब उसके पास बुद्ध को देने के लिए कुछ बचा नहीं था तभी उसने स्वयं का खयाल आया और राजा ने सोचा की वस्तु भेट करने से अच्छा है की में अपने आप को ही भेट कर दू।
इस बात खयाल आते ही राजा ने अपने आप को बुद्ध को भेट करना चाहा तभी बुद्ध ने राजा से फिर कहा निचे गिरा दो। गौतम बुद्ध के शिष्य भी वहा मौजूद थे वे राजा की इस स्थिति को देखकर हसने लगे तभी राजा को बोध हुआ की में अपने आप को समर्पित करता हु कहना कितना अहंकार पूर्ण है।
में अपने को समर्पित करता हु यह कहने में समर्पण नहीं हो सकता क्यूंकि में तो बना हुआ है और वह समर्पण कहा हुआ इस बोध के साथ राजा स्वयम बुद्ध के पैरों पर गिर पड़ा।
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5. मृत्यु
एक बार गौतम बुध्द के शिष्य ने उनसे पूछा भगवंत आपने आज तक यह नहीं बताया की मृत्यु के बाद क्या होता है? तभी बुद्ध उसकी बाते सुनकर मुस्कुराए और उन्होंने शिष्य से पूछा पहली मेरी एक बात का जवाब दो।
सोचों अगर कोई मनुष्य रास्ते से कही जा रहा हो और अचानक से जहर भरा तीर उसके शरीर में आकर लग जाए तो उसे पहले क्या करना चाहिए। पहले शरीर में घुसे तीर को निकालना चाहिए या फिर तीर किस और से आया है और किसे लक्ष्य कर मारा है यह देखना चाहिए।
शिष्य ने कहा पहले तो शरीर में घुसे तीर को बाहर निकाल ना चाहिए नहीं तो जहर पुरे शरीर में फ़ैल जाएगा। बुद्ध ने शिष्य से कहा बिलकुल ठीक कहा तुमने अब यह यह बताओ की पहले इस जीवन के दुखों के निवारण का उपाय किया जाए।
मृत्यु की बाद की बातों के बारे में सोचा जाए और जो हमारे वश में है ही नहीं उसका विचार ही क्यों करना और किसकी मृत्यु कब आएँगी यह सिर्फ परमात्मा जानता है और मनुष्य के हाथ सिर्फ कर्म करना है।
मनुष्य को उन विषयों के बारे में सोचके अपना वक्त बर्बाद करना ही नहीं चाहिए और मनुष्य को सिर्फ उन बातों के बारे में सोचना चाहिए जो वह कर सकता है शिष्य अब समझ चुका था और उसकी जिज्ञासा अब शांत हो चुकी थी।
शिक्षा:
मनुष्य को उन बातों के बारे में सोच कर अपना समय नहीं बिताना चाहिए जिसपर उसका कोई जोर ही नहीं हो और हमेशा उन बातों के बारे में ही विचार करे जो अपने परेशानियों को कम कर सके।
आपको गौतम बुद्ध की कहानियां कैसी लगी हमे कमेन्ट करके के जरूर बाताए और ऐसे ही अच्छी कहानिया Gautam Buddha Long Motivational Story In Hindi पढ़ने के लिए Hindi Ki Story के साथ जुड़ते रहे ! आपका धन्यवाद !