Gautam Buddha Story In Hindi | गौतम बुद्ध की कहानियां

Gautam Buddha Story In Hindi:- गौतम बुद्ध की शिक्षाप्रद कहानियां हमे यह सिखाती है की जीवन में अगर हमे सफल होना है तो हमे अपने जीवन से अहंकार और घमंड जैसी भावनाओं को निकाल देना चाहिए और सदा दूसरों की सेवा करने की मार्ग पर चलना चाहिए। गौतम बुद्ध की सीख हमेशा हमे सही मार्ग दिखती है और इन बातों का पालन करकर हम अपने जीवन में दुःख से मुक्ति पाकर जीवन में ख़ुशी प्राप्त कर सकते है।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

तालाब का पानी

Gautam Buddha Story In Hindi
तालाब का पानी

गौतम बुद्ध एक बार एक गांव के पास से गुजर रहे होते है तभी अचानक गौतम बुद्ध को प्यास लगी तो उन्होंने अपने एक शिष्य से कहा की हम इस पेड़ के निचे रुकते है तुम जाकर गांव का जो तालाब है वहा से पानी भरकर इस घड़े में लेकर आजाओ।

तो शिष्य जो था गुरुदेव की बात मानते हुए तालाब के पास पानी लाने जाते है और जब वह तालाब के पास पहुँचता है तो देखता है की कुछ किसान जो है अपने जानवरों को साफ कर रहे है और कुछ महिलाये अपने कपडे धो रही होती है तभी वह समझ जाता है की तालाब का पानी गंदा है और शिष्य को समझ में नहीं आया की इतना गंदा पानी गुरुदेव के लिए लेकर कैसे जाऊं?

थोड़ी देर उसने इंतजार किया और वापस वह गौतम बुद्ध के पास चला गया और उसने गौतम बुद्ध से कहा की माफ़ी चाहूंगा गुरुदेव में पानी लाना चाहता था लेकिन पानी इतना गंदा है की में पानी भरकर ला नहीं पाया।

गौतम बुद्ध ने उस शिष्य से कहा की हम सब यही आराम कर लेते है थोड़ी देर तुम भी आराम कर लो और आधे घंटे के बाद गौतम बुद्ध ने फिर उस शिष्य से कहा की तुम जाओ और तालाब से इस घड़े में पानी भरकर ले आओ जब वो शिष्य तालाब के पास पहुँचता है और देखता है की तालाब की जो मिट्टी थी वह निचे बैठ चुकी है और पानी साफ़ हो चुका है।

शिष्य ने घड़े में पानी भरकर वापस गौतम बुद्ध के पास आया और बोला गुरुदेव मुझे समझ नहीं आया की तालाब का पानी साफ़ कैसे क्या हो गया तभी गौतम बुद्ध ने शिष्य से कहा यह बात में तुम्हे समझाना चाहता था की जिस तरह तालाब का पानी आधे घंटे में साफ़ हो गया ठीक ऐसा हमारा दिमाग है।

जीवन का असली दुःख – Gautam Buddha Story In Hindi

Gautam Buddha Story In Hindi
जीवन का असली दुःख

एक बार गौतम बुद्ध गांव में धर्म सभा को सम्बोधित कर रहे थे। लोग अपनी समस्याओं को लेकर उनके पास जाते और उनका हल पाकर ख़ुशी से वह लौट जाते उसी गांव के रास्ते के किनारे एक गरीब बूढ़ा व्यक्ति भिक्षा मांगने के लिए बैठा रहता है और धर्म सभा में जाने वाले सभी लोगों को ध्यान से देखते रहता है।

वह गरीब व्यक्ति देखता है की सभी लोग अंदर तो दुखी जाते है पर जब वापस आते है तो बड़े प्रसन्न दिखाई देते है और यह चीजे देखकर वह गरीब व्यक्ति बहुत ही आश्चर्यचकित हुआ उस गरीब को लगा की क्यों ना में भी अपनी समस्या गौतम बुद्ध को बताऊ और मन में यह विचार लिए वह गौतम बुद्ध के पास जाता है।

जब वह गरीब व्यक्ति वहा पहुंचा तो उसने देखा की सभी लोग अपनी समस्या गौतम बुध्द को बता रहे होते है और गौतम बुध्द मुस्कुराते हुए सब की समस्या हल कर रहे होते है और जब उसकी बारी आई तो उसने गौतम बुध्द को प्रणाम किया और कहा की भगवान इस गांव में सभी लोग खुश और समृद्ध है में ही क्यों गरीब हूँ।

गौतम बुद्ध मुस्कुराते हुए उस व्यक्ति को बोले क्यों की तुमने आज तक किसी को कुछ नहीं दिया तब वह व्यक्ति बोला भगवान मेरे पास दूसरों को देने के लिए क्या होगा मेरा स्वयम का गुजारा बड़ी मुश्किल से हो जाता है और लोगो से भिक मांगकर में अपना पेट भरता हु।

गौतम बुद्ध बोले तुम बड़े अज्ञानी हो ईश्वर ने बाटने के लिए तुम्हे बहुत कुछ दिया है और तुम्हे मुस्कराहट दी है जिससे तुम आशा का संसार कर सकते हो, मुँह से अच्छे शब्द बोल सकते हो, दोनों हाथों से लोगों की मदत कर सकते हो और ईश्वर ने जिसे यह तीन चीजे दी है वह कभी गरीब और निर्दयी नहीं हो सकता है और निर्धन का विचार सिर्फ आदमी के दिमाग में होता है और यह एक भ्रम है इसे दिमाग से निकाल दो।

गौतम बुद्ध की यह बाते सुनकर उस व्यक्ति का चेहरा चमक उठता है और वह समझ जाता है की दुखी और गरीब होना एक भ्रम है नाकी वास्तविकता होती है।

सीख:-

इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है की हम जैसा सोचते है वैसे ही हम अपने जीवन में बनते है इसीलिए अपने जीवन में अच्छे विचार और सोच का होना बहुत जरुरी होता है।

जैसी जिसकी भावना – Gautam Buddha Story In Hindi

Gautam Buddha Story In Hindi
जैसी जिसकी भावना

एक बार भगवान बुद्ध प्रवचन दे रहे थे और अपना प्रवचन ख़त्म कर उन्होंने आखिर में कहा की जागों समय हाथ से निकला जा रहा है और सभा ख़त्म होने के बाद उन्होंने अपने प्रिय शिष्य आनंद से कहा की चलो कुछ देर घूम कर आते है।

आनंद बुद्ध के साथ चल दिए जब दोनों सभा मंडप के मुख्य द्वार तक पहुंच गए थे की वो दोनों मुख्य द्वार के एक किनारे खड़े हो गए और प्रवचन सुनने आये लोग एक-एक कर बाहर निकल रहे थे इसीलिए मुख्य द्वार पर भीड़ जमा हो गयी थी।

अचानक उनमे से एक महिला बुद्ध से मिलने आई तभी उसने कहा की तथागत में नर्तकी हूँ और आज नगर एक बड़े शेठ के घर मेरे नृत्य का कार्यक्रम पहले से तय था लेकिन में उसके बारे में भूल चुकी थी।

जब आपने कहा की समय निकला जा रहा है तो मुझे इस बात की याद आयी और वह नर्तकी तथागत को धन्यवाद कर वहा से चली गयी अब उसके बाद एक डकैत बुद्ध के पास आया और बोला तथागत में आप से कोई बात छुपाऊंगा नहीं में भूल गया था की आज मुझे एक जगह डाका डालने जाना है पर आज आपका उपदेश सुनने के बाद मुझे अपनी योजना याद आयी और वह भी भगवान बुद्ध को धन्यवाद कहकर वहा से निकल जाता है।

डकैत के जाने के बाद धीरे-धीरे चलकर एक बूढ़ा व्यक्ति बुद्ध के पास आया और कहा की तथागत जिंदगी भर बुनियादी चीजों के पीछे भागता रहा अब मौत का सामना करने का दिन नजदीक आ रहा है तब मुझे लगता है की सारी जिंदगी यूही बेकार हो गयी आपके बातो से आज मेरी आँखे खुल गयी और आज से में अपने सारे मोह माया छोड़कर निर्वाण के लिए प्रयत्न करना चाहता हूँ।

जब सब लोग चले गए तब बुद्ध ने आनंद से कहा प्रवचन मैंने एक ही दिया लेकिन उसका हर किसी ने अलग-अलग मतलब निकाला और जिसकी जितनी झोली होती है उतना ही दान वह समेट पाता है।

सीख:-

निर्वाण प्राप्ति के लिए भी मन की झोली को उसके लायक होना होता है इसके लिए मन का शुद्ध होना बहोत जरुरी होता है।

घमंडी राजा – गौतम बुद्ध की कहानियां

Gautam Buddha Story In Hindi
घमंडी राजा

एक बार एक राजा गौतम बुद्ध के पास आया आश्रम में बहुत भीड़ थी तभी राजा ने बुद्ध से आग्रह किया की वह उनसे एकांत में कुछ कहना चाहता है अब बुद्ध बोले सर्वत्र एकांत है और तुम्हे जो बोलना है वह यही बोलो तब राजा बोला की में संन्यास लेना चाहता हूँ।

यह सुनकर बुद्ध थोड़ा गंभीर हो गए वे बोले की तुम्हे सन्यासी होने के लिए और दीक्षा देने से पहले मेरी एक शर्त का पालन करना होगा राजा ने कहा की जब दीक्षा लेनी है और सन्यस्त होना ही है तो सब शर्ते मंजूर है।

बुद्ध ने राजा को आदेश दिया की अपने कपडे और जुते उतारकर अपने राजधानी के राज मार्ग पर स्वयम को जुते मारते हुए चक्कर लगाकर आओ अब राजा ने वही किया और उसके चले जाने पर शिष्योंने बुद्ध से कहा की जब हम दीक्षा लेने आये थे तब आपने ऐसी कठोर शर्त नहीं लगायी थी और आप स्वयम करुणा अवतार है फिर राजा के साथ ऐसा कठोर व्यवहार क्यों?

जब तुम लोग संन्यास लेने आये थे तो तुम्हारे अहंकार बहोत बड़ा नहीं था इसलिए तुमसे द्वार-द्वार भिक्षा मांगकर ही काम बन गया था पर यह तो राजा है और इसका अहंकार भी बड़ा है इसीलिए महारोग की दवाई भी अधिक शक्ति शाली होनी चाहिए और राजा जब इस दशा में अपने ही प्रजा के सामने से गुजरेंगा तो उसका अहंकार ख़त्म हो चुका होगा।

राजा ने शाम तक शर्त पूरी कर ली और बुद्ध के पास आकर कहने लगा तथागत मुझे दीक्षा देकर अब तो सन्यस्त करे तभी बुद्ध ने राजा के सर पर मुकुट रखा और कहा की अब तुम्हे सन्यास लेने की जरुरत नहीं है अब तुम जाओ और स्वामी भाव छोड़कर सेवक भाव से राज्य करो।

सीख:-

इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है की कभी भी जीवन में ज्यादा घमंडी नहीं बनना चाहिए क्यों की वही हमारे दुःख और असफलता का कारण होता है।

आपको गौतम बुद्ध की कहानियां कैसी लगी हमे कमेन्ट करके के जरूर बाताए और ऐसे ही अच्छी कहानिया Gautam Buddha Story In Hindi पढ़ने के लिए Hindi Ki Story के साथ जुड़ते रहे ! आपका धन्यवाद !

यह भी पढ़े:-

Leave a Comment