यशस्वी का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था और उन्हें बचपन में ही कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
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दस साल की उम्र में ही अपने पिता को कहा था की उन्हें क्रिकेट सीखने मुंबई जाना है।
यशस्वी जायसवाल ने पानी पूरी बेचीं, इनकी बहुत ही हलांकिकी परस्थिति होने के बावजूद इन्होने अपने सपने को नहीं छोड़ा।
एक इंटरव्यू में यशस्वी ने बताया की उनकी की लाइफ इजी नहीं थी क्यूंकि टेंट में राते गुजारने होती, लाइट नहीं रहती और पैसे इतने नहीं थे की किसी बेहतर जगह जा सके।
तीन साल तक अपना जीवन टेंट में बिताया और क्रिकेट के जो गुण और बारीकियां थी वो सीखी और वो कहते है तीन साल का संघर्ष जो था वह बहोत ही कड़ा संघर्ष था उनके लिए।
२०१९ विजय हजारे ट्रॉफी में अपने टैलेंट का शानदार प्रदर्शन दिखाया और अंडर १९ वर्ल्डकप में जगह मिली जहा उन्हें प्लेयर ऑफ़ दी टूर्नामेंट से चुना गया।
यशस्वी आज युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गए हैं, जो उनके संघर्ष और सफलता से सीखकर अपने सपनों को पूरा करने का प्रयास करते हैं।