विद्यार्थी जीवन हर कोई असफलता के रास्ते से जरूर गुजरता है। इन असफलताओं से बाहर निकल ने के लिए उन्हें जरुरत होती वह है खुद को मोटिवेट करते रहने की और यह मोटिवेशन उन्हें सफल लोगों की कहानियों से मिलता है। जो उन्हें सफलता की राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रहती है।
इस आर्टिकल में विद्यार्थी के लिए प्रेरणादायक कहानी (Top 3 Short Motivational Story In Hindi ) है जो उन्हें अपने लक्ष्य के प्रति मोटीवेट और एक ऐसी सीख भी देंगी जो उन्हें आगे बढ़ने के लिए जरूर प्रेरित करेंगी।
हौसले की उड़ान
एक अमेरिकन स्कूल में खेल की क्लास शुरू हुई तभी एक दुबली-पतली लड़की किसी तरह अपनी जगह से उठी और शिक्षक से ओलिंपिक रेकॉर्ड्स के बारे में सवाल पूछने लगी। लड़की शाररिक रूप से कमजोर थी इसीलिए लड़की की इस बात पर सभी छात्र जोर से हंस पड़े।
शिक्षक ने भी लड़की के इस बात को मजाक में लिया और बोला तुम ओलिंपिक खेलों के बारे में जानकर क्या करोगी और क्या कभी तुमने अपने शरीर के पर भी नजर डाली है। तुम पहले से ही शाररिक रूप से कजोर हो जिसके चलते तुम ठीक से खुद के पैरों पर खड़ी भी नहीं हो सकती और तुम्हें कौन से खेलों में भाग जो लेना है सो यह सब जानना चाहती हो।
लड़की शिक्षक की इस बात को सुनकर कुछ भी कह नहीं पाई। क्लास के सारे विद्यार्थी उस पर काफी देर तक हसते रहे। अगले दिन जब खेल पीरियड में उस लड़की को बाकी बच्चों से जब अलग बिठाया गया तो उसने कुछ सोचकर अपनी बैसाखियां संभालीं और दृढ़ निश्चय के साथ कड़ी होकर बोली “सर याद रखिएगा अगर लगन सच्ची और इरादे बुलंद हों तो सब कुछ संभव है।” सर आप देख लेना, एक दिन यही लड़की सारी दुनिया को हवा से बातें करके दिखाएगी।
फिर लड़की की इस बात को सुनकर सारे विद्यार्थी है पड़े। लड़की की इस बात को उस वक्त सबने इसे मजाक के रूप में लिया। लेकिन लड़की का यह सपना था की वह ओलिंपिक में गोल्ड विजेता जरूर बनेंगी। लड़की ने अपने इस सपने को साकार करने के लिए हररोज दृढ़ संकल्प के साथ तेज चलने के अभ्यास में जुट गई।
लड़की ने अब ठान लिया था की उसे ओलिंपिक विजेता बनना है। अब वह अच्छी और पौष्टिक खुराक लेने लगी और फिर वह कुछ दिनों में दौड़ने भी लगी। कुछ दिनों के बाद उसने स्कूल और अन्य छोटी-मोटी दौड़ में भाग लेना भी शुरू कर दिया। जब उस लड़की दौड़ते देख लोग दांतों तले उंगली दबा लेते थे क्यों की अब वह पहले की लड़की नहीं थी जो एक समय अपने पैरों से चल भी नहीं पाती थी।
कई लोग लड़की इस तपस्या और उसके सपने के प्रति दृढ़ संकल्प को देखकर उसकी मदद के लिए आगे आए। सबने उसका उत्साह बढ़ाया और उसके हौसले को ओर बुलंद किया। वर्षों की इस कठोर परिश्रम और मेहनत के बाद वह समय आया जब लड़की ने 1960 के ओलिंपिक खेलों में में हिस्सा लिया और तीन स्वर्ण पदक जीतकर सबको अचंबित कर दिया। ओलिंपिक में इतिहास रचने वाली वह थी अमेरिकी धाविका थी विल्मा रूडोल्फ जिन्होंने एक ही ओलंपिक में तीन ट्रैक-एंड-फील्ड स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली अमेरिकी महिला बनी।
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संत और सम्राट – Top 3 Short Motivational Story In Hindi
एक बार रोमन साम्राज्य में सम्राट के अत्याचारों से वहां की जनता में त्राहि-त्राहि मची हुई थी। उसके अत्याचारों का विरोध करने का साहस किसी ने किया तो सम्राट उसे मौत की सजा सुना देता था। लेकिन वहां के एक समाज सुधारक संत थे बाजिल। वह अपनी साधारण कुटिया में रहते और सादा जीवन जीते थे। संत बाजिल ही एक मात्र व्यक्ति थे जो सम्राट के जुल्म और अत्याचारों का जमकर विरोध करते थे, लेकिन सम्राट कभी संत ब्राजील के खिलाफ कोई बड़ा कदम उठाने का साहस नहीं कर पाते थे क्यों की राज्य की जनता भी उनके साथ थी।
एक दिन सम्राट ने अपना दूत संत बाजिल के पास भेजकर संदेश दिया कि वह सम्राट के शासन का विरोध करना बंद कर दें। इसके बदले उन्हें सम्राट की तरफ से इतनी संपत्ति दी जाएगी कि वे जिंदगी भर अपना जीवन आराम से व्यतीत कर सकते है। दूत ने उन्हें अपने सम्राट का संदेश सुनाया और संत बाजिल से कहा महाराज, समझदारी इसी में है कि आप सम्राट का विरोध करना छोड़ दें। आपने विरोध करना नहीं छोड़ा तो सम्राट क्रोध में आपको राज्य से हमेशा के लिए बाहर कर देंगे।
संत ने दूत से कहा- भाई तुम ठीक कहते हो। अगर में सम्राट की आज्ञा का पालन करू तो मैं मालामाल जरूर हो जाऊंगा और मेरे अकेले के विरोध करने से सम्राट भी कभी सुधरेंगे नहीं। लेकिन मैंने सम्राट के जुल्म और अत्याचार का विरोध करना छोड़ दिया तो मेरी अंतर-आत्मा मर जाएगी। एक संन्यासी और देश का एक जिम्मेदार नागरिक होने के कारण मेरा यह कर्तव्य बनता है कि मैं सम्राट को सही रास्ते पर लाने का प्रयास तब तक करता रहूं, जब तक मेरी सांसें चलती रहे।
मुझे उम्मीद है कि एक दिन सम्राट अवश्य सुधरेंगे। मैं उनका प्रस्ताव मानने को तैयार नहीं हूं। जो राजा संतों और विद्वानों की चेतावनी अनसुना करता है, उसका सर्वनाश निश्चित है। इसके बाद संत बाजिल ने सम्राट के जुल्मों और अत्याचारों का विरोध करना जोरों से शुरू कर दिया और कुछ ही दिनों में लोगों के अंदर सम्राट के अत्याचारों के विरुद्ध में बोलने का साहस बढ़ गया।
एक दिन ऐसा आया की सम्राट को इस विरोध को देखते हुए अपने अत्याचारों को रोकना पड़ा और सम्राट को इस विरोध जनता के घुटने टेकने को मजबूर कर दिया। इस विरोध का सम्राट पर ऐसा असर हुआ कि उसने खुद जाकर बाजिल से माफी मांगी।
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गुरु की सीख विद्यार्थी के लिए प्रेरणादायक कहानी
एक शिक्षक कक्षा में पढ़ा रहे थे। तभी एक छात्र ने उनसे सवाल पूछा ‘यदि हम कुछ नया और कुछ अच्छा करना चाहें, परंतु समाज उसका विरोध करे तो हमें क्या करना चाहिए? शिक्षक ने थोड़ी देर कुछ सोचा और बोले बालक में इस प्रश्न का उत्तर तुम्हें कल दूंगा।
अगले दिन शिक्षक सभी छात्रों को नदी तट पर ले गए। उनके हाथ में तीन डंडियां थीं। उन्होंने छात्रों से कहा आज हम एक प्रयोग करेंगे और मछली पकड़ने वाली इन तीन डंडियों को देखो और सभी डंडियां एक ही लकड़ी से बनी हैं।
इसके बाद शिक्षक ने कल वाले छात्र को छात्र को बुलाया जिसने उनसे सवाल पूछा था। शिक्षक ने छात्र से कहा ये लो इस लकड़ी की डंडी से मछली पकड़ो। तभी छात्र ने डंडी से बंधे कांटे में थोडा आटा लगाया और वह काटा पानी में डाल दिया। कुछ देर बाद में ही एक बड़ी मछली कांटे में फंसी गई और यह देख शिक्षक बोले बालक जल्दी से अपनी पूरी ताकत से मछली को बाहर की ओर खींचो।
छात्र ने शिक्षक ने जैसा कहा वैसा ही किया पर मछली भी अपनी पूरी ताकत से भागने की कोशिश करने लगी जिससे वह डंडी दों टुकड़ों में टूट गई। यह देख शिक्षक छात्र से बोले कोई बात नहीं बालक तुम ये दूसरी डंडी लो और फिर से प्रयास करो। छात्र ने फिर दूसरे डंडी के काटे पर थोडा आटा लगाकर कांटा पानी में डाला।
अब इस बार मछली वापस काटे में फंसी तभी शिक्षक बोले आराम से और एकदम हल्के हाथ से काटे को पानी से ऊपर खींचो। छात्र ने ऐसा ही किया, पर मछली ने इतनी जोर से झटका दिया कि वह डंडी ही छात्र के हाथ से छूट गई। तभी शिक्षक ने तीसरी डंडी छात्र के हाथ में थमाते हुए कहा एक बार फिर से तुम प्रयत्न करो।
पर इस बार तुम ना अधिक जोर लगाना और ना ही कम। तुम जितनी शक्ति से काटे में अटकी मछली खुद को पानी के अंदर की ओर खींचे तुम उतनी ही ताकत से लकड़ी की डंडी को भी बाहर की ओर खींचना और फिर देखना कुछ ही देर में मछली ताकद लगाने से खुद ही थक जाएगी और तब तुम आसानी से उसे बाहर निकाल सकते हो। छात्र ने वैसा ही किया और इस बार मछली पकड़ में आ गई।
छात्र गुरु का संकेत समझ गया की हम जब भी कुछ अच्छा काम करते है तब यह समाज उसका तिरस्कार या नकारता जरूर है इसीलिए हमे उनको नकारते हुए अपने काम और लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए।
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