Student Heart Touching Motivational Story In Hindi:- स्टूडेंट्स लाइफ में हर किसी के जीवन में असफलताए या नाकामयाबी आती रहती है और इन सब से कुछ स्टूंडेंट्स बाहर निकल जाते है तो कुछ नहीं पर इन सब से बाहर निकल ने के लिए हम सब को किसी तरह के मोटिवेशन की जरुरत होती है जो हमें इन सब से बाहर निकाल सके और अगर देखा जाए तो हर सफल व्यक्ति के पीछे कोई ना कोई मोटिवेशन जरूर होता है जो उसे असफलता से सफलता प्राप्त मदत करता है। आज हम आपक के लिए ऐसी ही मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी लाए है जो आपका जीवन बदल दे।
जुड़वा भाई – Student Heart Touching Motivational Story In Hindi
अवि और रवि दोनों जुड़वा भाई थे बचपन से ही अवि पढाई में बहोत तेज था लेकिन रवि एक बस एवरेज स्टूडेंट था। अवि अपनी काबिलियत के वजहसे बहोत बड़े सपने देखा करता था।
रवि जो था वो सिर्फ छोटी-छोटी चीजों में ही खुश रहता बल्कि अगर अवि ने एक्साम में टॉप किया तो सब बहोत ही खुश थे तभी एक खबर आई की उनके पिता ने एक एक्सीडेंट में अपनी जान गवा दी है और रोकर माँ की तबियत ख़राब हो गयी है।
अवि ने इन सब के बावजूद अपने सपनों को नहीं छोड़ा और अगले ही साल वह अपनी पढाई के लिए विदेश चला गया लेकिन रवि यही रुक गया। अब २० सालों बाद अवि अमेरिका में एक बड़ा वकील बन चुका है।
अब अवि के पास बहोत ही पैसा और शौहरत थी लेकिन अवि एक मामूली अकाउंटेंट की नौकरी कर रहा था और जब उनकी माँ का देहांत हुआ तो दोनों भाई सालों बाद एक साथ खड़े थे और तभी अचानक दोनों एकदम जोर से चींखे और दोनों को दर्द होने लगा जब दोनों जांच की तो दोनों को एक जेनेटिक बिमारी पैंक्रिअटिक कैंसर है करके डॉक्टर ने बोला।
अवि खुदकों और अपने भाई रवि के बीमारी के इलाज के लिए बहोत पैसा खर्च कर दिया पर लेकिन ५ सालों बाद रवि तो ठीक हो गया लेकिन अवि की मौत हो गयी ये कैसे संभव है?
हम जुड़वां भाई है और हमें एक ही बिमारी थी तो आपने मेरी जान क्यों नहीं ली अवि ने भगवान से पूछा और मैंने अपने जिंदगी में उससे कई ज्यादा मेहनत की है और उससे लाख गुना ज्यादा सफलता पाई लेकिन आपने मेरी ही जान क्यों ली?
तभी भगवान ने उसके आंसू पोछकर उसे बोला बच्चे मेरे लिए तो हर मनुष्य बराबर है और जब तू विदेश था तब तेरे भाई ने बीमार माँ की सेवा की और हर रात उसके पैर दबाये थे और उसी माँ के दिल से दुवां निकली थी की “बेटा तू १०० साल जिए।”
सीख:-
सपनों से पहले संस्कार और संस्कार में माता-पिता की सेवा ही सफलता का अंतिम मंत्र है।
शिक्षक की कहानी – मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी
एक दिन शिक्षक अपने क्लास में आए और उन्होंने सभी बच्चों के हाथ में एक सफ़ेद पेपर दे दिया और जब बच्चों ने उस पेपर को देखा तो उस पेपर को देखा तो पेपर के बीच में एक काले रंग का सर्कल बना हुआ था।
अब शिक्षक ने सभी बच्चों से पूछा की बच्चों आपको इस पेपर में क्या दिखाई दे रहा है तो सब बच्चों ने कहा की पेपर के बीच में एक काला सर्कल बना हुआ है तभी शिक्षक ने वही सवाल वापस पूछा और बच्चोने वही जवाब वापस दे दिया।
करीब दस से बारह बार शिक्षक ने बच्चों को पूछा फिर भी बच्चों का वही जवाब था। फिर शिक्षक बोला बच्चों मैंने कितनी बार पूछा की पेपर में तुम्हे क्या दिखाई दे रहा और तुमने हर बार वही जवाब दिया की उस पेपर के बिच में एक छोटा काले कलर का सर्कल बना हुआ है। तब शिक्षक बोले बच्चों क्या तुम्हे सर्कल के बहार का इतना बड़ा पेपर नहीं दिखा।
सीख:-
हमारे जिंदगी में हम वही तो करते है और भगवान ने हमे इतनी अच्छी जिंदगी दी है। कभी-कभी हमारे जिंदगी में छोटे-छोटे प्रॉब्लम आते रहते है और हम बस उसके बारे में ही सोचते रहते है।
मेहनत का फल
एक गांव में दो मित्र नकुल और सोहम रहते थे। नकुल बहोत ही धार्मिक था और भगवान को मानता था जबकि सोहम बहोत ही मेहनती था। एक बार दोनों ने मिलकर एक बीघा खेती खरीदी उसमे वह दोनों फसल उगाकर अपना घर बनाना चाहते थे।
सोहम तो खेत में बहोत मेहनत करता लेकिन नकुल कुछ काम नहीं करता बस मंदिर में जाकर भगवान से अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करता और इसी तरह समय बीतता गया कुछ समय बाद खेती की फसल अब तैयार हो गयी थी।
जिसको दोनोंने बाजार में जाकर बेच दिया और उनको अच्छा पैसा मिला तभी घर आकर सोहम ने नकुल से कहा की इस धन का ज्यादा हिस्सा मुझे मिलना चाहिए क्यूंकि मैंने खेत में ज्यादा मेहनत की है।
यह बात सुनकर नकुल बोला धन का ज्यादा हिस्सा तो मुझे मिलना चाहिए क्यूंकि की मैंने भगवान से इसके लिए प्रार्थना की तभी तो हमे अच्छी फसल हुई और भगवान के बिना कुछ संभव नहीं है।
जब वो दोनों इस बात आपस में नहीं सुलझा सके तो धन के बटवारे के लिए वो दोनों गांव के मुखिया के पास पहुँच गए तभी मुखिया ने उन दोनों की बाते सुनकर दोनों को एक-एक बोरा चावल का दिया जिसमे कंकड़ मिले हुए थे।
मुखिया ने बोला की कल सुबह तक दोनों को इन बोरियों में से चावल और कंकड़ अलग-अलग करके लेकर आना है तब में निर्णय करूंगा की इस धन का ज्यादा हिस्सा सोहम को या नकुल को मिलना चाहिए और तभी दोनों चावल की बोरियां लेकर अपने-अपने घर चले जाते है।
सोहम ने रात भर चावल और कंकड़ को अलग किया लेकिन नकुल चावल की बोरी को लेकर मंदिर में गया और भगवान से चावल में से कंकड़ अलग करने की प्रार्थना की अब अगले दिन सोहम वह अलग किये हुए चावल और कंकड़ लेकर मुखियां के पास आया और इसे देखकर मुखिया खुश हुआ।
नकुल जैसी की वैसी बोरी को लेकर मुखिया के पास आया तभी मुखिया ने नकुल को कहा की दिखावों तुमने कितने चावल साफ़ किये है तभी नकुल बोला मुझे भगवान पर पूरा भरोसा है की मेरे सारे चावल साफ़ हुए है।
जब नकुल की बोरी को खोला गया तो मुखिया ने पाया की उसमे चावल और कंकड़ वैसी ही है तब मुखिया ने नकुल को बोला भगवान भी तभी सहायता करते है जब तुम खुद मेहनत करते हो और तब मुखिया ने निर्णय लिया की धन का ज्यादा हिस्सा सोहम को दिया जाए और इसके बाद नकुल भी सोहम की तरह खेत में खूब मेहनत करने लगा और अब इस बार उन दोनों की मेहनत से उनकी फसल अच्छी हो गयी।
सीख:-
हमे भगवान के भरोसे कभी नहीं बैठना चाहिए और भगवान भी उसी की सहायता करते है जो खुद मेहनत करते है।
आपको मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी कैसी लगी हमे कमेन्ट करके के जरूर बाताए और ऐसे ही अच्छी कहानिया (Student Heart Touching Motivational Story In Hindi) पढ़ने के लिए Hindi Ki Story के साथ जुड़ते रहे ! आपका धन्यवाद !