Story of Mahashivratri In Hindi

Story of Mahashivratri In Hindiमहाशिवरात्रि को हर साल २ बार मनाया जाता है इसमें पहली महाशिवरात्रि को फाल्गुन माह में कृष्ण चुतर्दशी तिथि होती है और दूसरी महाशिवरात्री सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को होती है।
महाशिवरात्रि का पर्यावरण से भी गहरा संबंध है क्यूंकि की भगवान शिव को प्रकृति का रक्षक माना जाता है और इस दिन पेड़ लगना और महाशिवरात्रि के दौरान वृक्षों और वनस्पतियों का सन्मान करना शुभ माना जाता है। आज के इस लेख में हम आपको महाशिवरात्रि के कहानी और उसका महत्व के बारे मे बताएंगे।

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महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? – Why We Celebrate Mahashivratri
कहा जाता है की महाशिवरात्रि के इसी दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था और इसी को उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

शिव महाशिवरात्रि की कहानी – Story of Mahashivratri In Hindi

Story of Mahashivratri In Hindi
शिव महाशिवरात्रि की कहानी

महाशिवरात्रि हिन्दुओं द्वारा मनाये जाने वाले सबसे महत्व पूर्ण त्योहारों में से एक है। कई लोगों का मानना है की शिवरात्रि के रात भगवान शिव अपना स्वर्गीय नृत्य करते है और क्या आप जानते है असल में महाशिरात्रि क्यों मनाई जाती है?

आज के इस लेख में हम इस रहस्य से पर्दा उठाते है।

ये कहानी उस समय की है जब सती ने आत्मदाह किया था और उस समय भगवान शिव काफी निराशा की स्थिति में चले गए थे। इस स्थिति में भगवान शिव दिनों तक जंगलों और पहाड़ों में भटकते रहे।

हलाकि बादमे वो शांति प्राप्त करने कैलाश पर्वत पर वापस लौट आये और उसी दौरान तारकासुर नाम का एक अत्याचारी राक्षस था और वो इस बात को जानता था की भगवान शिव ने सती के त्याग में कैलाश पर्वत को त्याग दिया है और अब उनकी गृहस्ती संभव नहीं है।

इस स्थिति का लाभ उठाते हुए राक्षस तारकासुर ब्रम्हांड के सर्व शक्तिमान निर्माता भगवान ब्रम्हा की तपस्या करने लगा। जब भगवान ब्रम्हा उसकी तपस्या से प्रसन्न हुए और उसे बोले मांगो तुम्हे क्या चाहिए।

तारकासुर ने भगवान ब्रम्हा से वरदान मांगा की उसकी मृत्यु भगवान शिव के पुत्र द्वारा ही हो। भगवान ब्रम्हाणे तारकासुर को वह वरदान दिया और वहा से चले गए।

अब तारकासुर को यह विश्वास हो गया था की अब वह अमर है इसीलिए उसने अपने शक्ति से पृथ्वी पर अत्याचार करना शुरू कर दिया था। उस समय राजा हिमवंत अपनी पत्नी मैनावती के साथ हिमालय में रहते थे और राजा हिमवंत की एक बेटी थी जिसका नाम देवी पार्वती था।

पार्वती को सती का अवतार कहा जाता है और देवी पार्वती की बचपन से ही भगवान शिव के प्रति अगात भक्ति थी और उनकी प्राथना की आवाजे कैलाश पर्वत पर गूंज उठी थी जिसे सुनकर भगवान शिव एक मुस्कान के साथ अपनी आँखे खोली।

देवी पार्वती की अपने स्वामी के प्रति भक्ति तीनो लोंको में प्रसिद्ध थी। इसलिए भगवान शिव के ह्रदय में स्नेह और और प्रेम को पुनः स्थापित करने के लिए ब्रम्हांडी शक्तियो ने कामदेव को कैलाश पर्वत पर भेजा की भोले शंकर के ह्रदय पर प्रेम के तीर का प्रहार किया जाए।

भगवान शिव उस समय ध्यान थे पर उन्होंने अपनी ओर आते हुए तीर को भाप लिया और क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया जिससे कामदेव वही भस्म हो गए। लेकिन देवी पार्वती की भगवान शिव के प्रति ये प्रेमपूर्ण भक्ति यही ख़तम नहीं हुई वो हिमालय से दूर चली गयी और योगिनी बनने के लिए कैलाश पर्वत ऊपर पहुंची।

उन्होंने भगवान शिव की तरह ध्यान किया और दिन-रात उनकी प्राथना में जुटी रही। देवी पार्वती की असीम भक्ति को देखकर भगवान शिव का ध्यान उनकी तरफ गया। उन्होंने देवी पार्वती से मिलने के लिए एक साधू का भेष धारण किया और जब बाबा भोलेनाथ साधु के भेष में देवी पार्वती के पास पहुंचे तो उन्होंने पार्वती से बहगवां शिव के प्रति बुरी बातें कही।

उन्होंने कहा की शिव वैसा नहीं है जैसा की आप उनके बारेमें सोचती है। देवी पार्वती उस साधू से अपने स्वामी के ऐसी नकारात्मक बातें बोलने से मना करने लगी और साधु को वही चुप करा देती है।

देवी पार्वती के इस भक्ति और उनके प्राथनाओं को देखकर भेष धारी भगवान शिव काफी प्रसन्न हो जाते है और अपने असली रूपमे लौट आते है। इसके बाद देवी पार्वती को अपनी पत्नी की रूप में स्वीकार किया।

वो रात भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह की रात थी और सभी शिवगण आनंदित होकर भगवान शिव के धाम पर नृत्य करते है। बादमे उसी रात को महाशिवरात्रि के रूप मनाया जाने लगा।

इसके बाद देवी पार्वती कैलाश पर्वत पर रहने लगी और उनके बड़े पुत्र के कार्तिके ने जन्म लिया जिन्होंने बाद में एक युद्ध के दौरान राक्षस तारकासुर को मार डाला। भगवान शिव और देवी पार्वती को अर्धनारीश्वर के नाम से जाना जाता है। साथ ही बता दे की देवी पार्वती को भैरव को शांत करने वाले शक्ति के रूप में भी माना जाता है।

दुनिया भर में लोग महाशिवरात्रि के दिन उपवास रखते है और सर्व शक्तिमान भगवान शंकर प्रार्थना करने के लिए पूरी रात जागते रहते है और यही नहीं इस दिन भक्त शिवलिंग पर दूध, शहद और नारियल चढ़ाते है।

FAQ Story of Mahashivratri In Hindi

  1. महाशिवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व?
    ऐसा माना जाता है की भगवान शंकर ने महाशिवरात्रि के दिन पुरे संसार को हलहाल के विष से बचाया था और वैद्यानिक महत्व की बात करे तो महाशिवरात्रि के रात ग्रह उत्तर गोलार्ध इस प्रकार अवस्थित हो जाता है मनुष्य के भीतर की ऊर्जा अपने प्राकृतिक रूप में ऊपर जाने लगती है।
  2. महाशिवरात्रि का व्रत क्यों रखा जाता है?
    कहा जाता है कि महाशिवरात्रि का व्रत रखने से बिना ब्याहा की महिलाओं का विवाह जल्दी होता है और शादीशुदा महिलाएं अपने सुखी जीवन के प्राप्ति लिए महाशिवरात्रि का व्रत रखती हैं।
  3. महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में क्या अंतर है?
    महाशिवरात्रि साल में दो बार आती है और वह फाल्गुन के महीने में मनाई जाती है और जबकि शिवरात्रि हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। यह महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में सबसे महत्वपूर्ण अंतर माना जाता है महाशिवरात्रि को भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का विशेष अवसर माना जाता है।

आपको महाशिवरात्रि की कहानी  कैसी लगी हमे कमेन्ट करके के जरूर बाताए और ऐसे ही अच्छी कहानिया (Story of Mahashivratri In Hindi) पढ़ने के लिए Hindi Ki Story के साथ जुड़ते रहे ! आपका धन्यवाद !

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