Short Motivational Story In Hindi For Success – प्रेरणादायक कहानियां ये वे कहानियां होती हैं जो हमें मुश्किलों का सामना करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने और सकारात्मक बने रहने के लिए सदा प्रेरित करती रहती हैं। ये कहनियां आम लोगो के जीवन का एक आधार भी हो सकती है।
इन मोटिवेशनल स्टोरी के अंत में हमे जो सीख मिलती है वो हमे बहुत कुछ सीखा जाती है। ये कहानिया बच्चे, बूढ़े और सभी लोगो के मन पर प्रभाव करती है और एक अच्छा इंसान बने रहने की भी शिक्षा प्रदान करती है।
शीशे की कहानी – Short Motivational Story In Hindi For Success
ये कहानी है गुरुकुल में पढ़ने वाले एक शिष्य की जिसका अंतिम दिन था गुरुकुल में जब वह अपने गुरु को अंतिम प्रणाम करने पहुंचा तो गुरीजी ने उसको बदले एक भेट दी और कहा की ये एक ऐसा शीशा है जो सामनेवाले के मन में क्या चल रहा है वो सब बता देता है।
शिष्य यह देखकर बड़ा प्रसन्न हुआ और उसे लगा की सबसे पहले गुरूजी को ही देख लेते है की गुरूजी कैसे है और जब उसने गुरूजी की तरफ शीशा घुमाया तो उसे गुरूजी के अंदर दुर्गुण दिखाई दिए। उनमे क्रोध, द्वेष, अहंकार बचा हुआ है और गुरूजी थे कुछ बोला नहीं और प्रणाम कर भेट लेकर निकल लिया।
जब वह शिष्य वहा से बाहर आया और सोचने लगा की कैसे गुरु है इनको मेने अपना आदर्श माना और इनके अंदर ही अवगुण बचे हुए है और इन्होने उन अवगुणों अबतक ख़त्म नहीं किया और इनमे बहोत बुराइया बची हुई है।
रास्ते में उसे जब अपना दोस्त मिला तब उसे लगा की दोस्त परीक्षा लें लेते है। उसके पास ऐसा शीशा था जो सामने वाले के मन में क्या चल रहा है वो आसानी से पता कर सकता था तब उसने अपने दोस्त को उस शीशे को देखने को बोल दिया और देखा की दोस्त के अंदर भी बहोत सारे अवगुण है।
उसका भरोसा टूट गया दोस्त से भी और आगे बढ़ा तो एक रिश्तेदार दिखाई दिए तब उसे लगा की चलो इनका भी हाल जान लेते है। उनको भी शीशा दिखाया और तभी शिष्य उनके मन के भाव पढ़ लिए की रिश्तेदार में भी कमिया है अब उस शिष्य का भरोसा धीरे-धीरे संसार से उठाने लगा और कहने लगा की गुरूजी, दोस्त और रिश्तेदार में कमिया है।
अब वह शिष्य अपनी घर की तरफ आ चुका था और जब घर की तरफ बढ़ने लगा तब सोचने लगा की माँ और पिताजी में कोई दुर्गुण नहीं होंगे और वो निर्मल होंगे। मेरे पिताजी तो बड़े प्रतिष्ठित है और समाज में बड़ी प्रतिष्ठा है उनकी और सब माँ को देवतुल्य मानते है।
शिष्य घरपर जब गया तो पिताजी को सबसे पहले शीशा दिखाया और पिताजी में भी उसको अवगुण दिखाई दिए और माताजी को दिखाया उनमे भी कमियां दिखाई दी अब शिष्य का भरोसा ही टूट चुका था।
अब उसे लगा की वापस गुरुकुल जाते है और जल्दी से ये शीशा गुरूजी को वापस सौप देते है और गुरुकुल में जाने के बाद गुरूजी से पूंछा की ये शीशा आपने क्या दे दिया इसमें सबके भाव पता चल रहे है। यहाँ तक की आप में भी बुराई बची है आपने भी उनपर काम नहीं किया और आप अभी तक निर्मल नहीं हुए।
शिष्य की बात सुनकर गुरूजी जोर-जोर से हसने लगे और कहने लगे की कुछ देर रुको तब उन्होंने वह शीशा जो था उसको शिष्य की तरफ घुमाया और कहा की अपना चेहरा देखो और फिर बताया की देखो कितने सारे अवगुण तुम्हारे अंदर है और तुम्हारा पूरा मन मैला है।
कही पर भी निर्मलता नहीं थी सारे अवगुण भरे हुए थे। तब गुरूजी ने शिष्य से कहा की ये शीशा तुम्हे इसलिए दिया था की तुम अपने आप को देखो और अपनी बुराई और अवगुणो को नष्ट करो और एक अच्छे इंसान बनो और तुमने पूरा दिन निकाल दिया की किसमे क्या भरा हुआ है जबकि ये नहीं देखा की मेरे अंदर कितनी बुराई भरी है।
सीख:-
हमे सबसे पहले अपने अंदर के अवगुणो को ख़त्म करना है ऐसा करने पर दुनिया अपने आप निर्मल बन जाएंगी।
टीचर की कहानी – Short Motivational Story In Hindi For Success
बरसात हो रही थी और एक सरकारी स्कूल में टीचर जो है बच्चों को पढ़ा रहे थे। पढ़ाते-पढ़ाते सोचा क्यों ना बच्चों से थोड़ी बाते की जाए और उन्होंने अपनी जेब में से १०० रुपये का नोट निकाला और पूरी क्लास को दिखाया और बच्चों से पूछा अगर ये १०० रुपये आप को मिल जाए तो आप क्या खरीदोंगे तब तमाम बच्चोने अलग-अलग जवाब दिए।
क्लास में एक आखरी बच्चा बचा था जिसको जवाब देना था तब वह बच्चा अपनी जगह खड़ा हो गया और जवाब दिया की सर में अपनी माँ के लिए चस्मा लेकर आऊंगा तब टीचर ने कहा की तुम चस्मा क्यों लाओंगे वो तुम्हारे पापा खरीद लाएंगे पर तुम अपने लिए क्या लाओंगे ये बतावो।
उस बच्चे ने कहा की मेरे पिताजी नहीं है में अपनी माँ के लिए चस्मा ही लाऊंगा और कहते-कहते वो रोने लग गया और फिर उस बच्चे ने कहा की मेरी माँ दूसरों के यह साफसफाई का काम करती है और जैसे-तैसे हमारा घर चलता है।
माँ को दिखाई कम देता है और माँ के लिए चश्मे की जरुरत है यह सुनकर टीचर भी इमोशनल हो जाते और कहते है येलो १०० रुपये लेकिन ये मत सोचो की में ये इनाम दे रहा हु या तुम्हारी माँ के चश्मे के लिए पैसे दे रहा हु ये पैसे में तुम्हे उधार दे रहा हु और तुम बहोत मेहनत करना और अपने घर के हालात सुधारना है।
जिस दिन बड़े आदमी बनोंगे उस दिन वापस आना और ये १०० रुपये का नोट मुझे वापस देना उस लड़केने कहा जी सर अब लड़का बहोत मेहनत करते गया और पढाई करते गया।
२० सालों के बाद में वही इतिहास दोहराता है। बाहर बारिश होती है और सरकारी स्कूल में क्लासेस चल रही होती है तभी एक लाल बत्ती वाली गाडी आकर रुकती है और कलेक्टर साहब उसमे से बाहर उतरते है तभी पूरा स्कूल जो है चौकना हो जाता है और सब लोगों को लगता है की आज तो चेकिंग होने वाली है।
सब अलर्ट पर रहते है और जो कलेक्टर सहाब होते है वो एक टीचर का नाम पूछते है और सीधे उसी क्लास में जाते है जहा बुजुर्ग टीचर जो समझ नहीं पाते है की कलेक्टर सहाब उनके सामने खड़े होते है।
कलेक्टर सहाब उनको प्रणाम करते है और १०० रुपये की नोट टीचर के हाथ में रखते हुए कहते है की, “२० सालों पुराना में आपका शिष्य जिसको आपने १०० रूपये दिए थे और आपने कहा था की ये १०० रुपये में तुझे इनाम नहीं बल्कि उधार दे रह हूँ और जब बड़ा हो जाएगा तब वापस कर देना और आज में आपको उधार देने आया हूँ।”
आपसे आशीर्वाद लेने आया हूँ क्यों की उस दिन जो आप ने जो मदत की थी उससे मुझे जीवन में बढ़ने के लिए इंस्पिरेशन मिली और में कामयाब इंसान बन गया हु।
सीख:-
लाइफ में अगर आप अड़ जाए डटें रहे तो आप अपने हालातों को बदल सकते है और उस जगह पर पहुंच सकते हो जहा पर पहुँच ने के बारे में शायद आप सोचते हो।
आपको मोटिवेशनल स्टोरी कैसी लगी हमे कमेन्ट करके के जरूर बाताए और ऐसे ही अच्छी कहानिया (Short Motivational Story In Hindi For Success) पढ़ने के लिए Hindi Ki Story के साथ जुड़ते रहे ! आपका धन्यवाद !