Short Motivational Story In Hindi: जिंदगी में ना मुसीबते चाय में जमी हुई मलाई की तरह होती है। आप चाय पी रहें हो और ऊपर एक बर्क जम जाता है और उसे मलाई बोलते है। उसको हटाके हम चाय पी लेते है। तो जिंदगी में मुसीबतें चाय में जमीं हुई मलाई की तरह होती है और कामयाब आदमी भी वही होता है जो मलाई को फूंक मरकर साइड कर दे और चाय पी जाए। इसी तरह हमारे जीवन में भी बहुत सारी असफलताए आती है जिससे हम खुद को निराश और असफल मानने लेते है। इन सब से बाहर निकल ने के लिए हमें मोटिवेशनल कहानिया मदत करती है। इस आर्टिकल में हम Short Motivational Story In Hindi लाए है जो आपको सफलता पाने के लिए जरूर मोटीवेट करेंगी।
Short Motivational Story In Hindi
1. गलतियों से सीखें
थॉमस एडिसन ने प्रकाश बल्ब का अविष्कार करने के लिए 2000 बार कोशिश की थी। फिर भी कुछ भी सकरात्मक परिणाम नहीं मिल पा रहा था। तब थॉमस एडिसन के सहायक ने उनसे कहा, “हमारा पूरा काम सफल नहीं हो रहा है मतलब हमने कुछ भी नहीं सीखा है।”
एडिसन ने कहा, “हम वास्तव में एक लंबा सफर तय कर चुके है और अभी तो हमे बहुत कुछ सीखना है।” हमने 2000 तरीकों की खोज की जो काम नहीं करते है और हम इसे बेहतर तरीके से जानते है।
फिर उनके अथक के प्रयासों के चलते एक दिन ऐसा आया की उनका प्रकाश का बल्ब चमकता है। थॉमस एडिसन जिन्होंने 2000 बार कोशिश की फिर भी उन्हें हर बार नाकामी ही हाथ लगी पर एक बात उन्होंने सीख थी वो थी की वह हर बार अपनी गलतयों से कुछ नया जरूर सीखते थे।
सीख:
थॉमस एडिसन की कहानी सीखती है की जीवन में असफलताएं आती है क्यों की ये असफलताए हमे हर बार कुछ नया सिखाती है और हम अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है।
2. पानी का गिलास
एक मनोविज्ञान शिक्षक कक्षा में घूमता है और छात्रों को तनाव से निपटने के बारे में बताता है। शिक्षक के हाथ में एक पानी गिलास होता है। सभी छात्र इस सवाल की उम्मीद करते है की आधा भरा है आधा खाली है या नहीं।
इसके बजाए शिक्षक अपने चेहरे पर हलकी सी मुस्कान के साथ पूछता है की “यह गिलास कितना भरी है?” सभी छात्र उत्तर में कहते है की पानी के गिलास का वजन लगभग 25-200 ग्राम तक हो सकता है।
शिक्षक कहता है “पूर्ण वजन से कोई फर्क नहीं पड़ता है और भारी पैन इस बात पर निर्भर करता है की में इसे कब तक पकड़ता हूँ। अगर में इस गिलास को एक मिनट के लिए पकड़ता हूँ तो कोई समस्या नहीं है।
अगर में इस गिलास को एक घंटे के लिए ऐसे ही पकड़ता हूँ तो एक घंटे बाद मुझे अपनी बाँह में दर्द महसूस होने लगेंगा और अगर में इसे पकड़ता हूँ तो मेरी बाँह सुस्त जाएंगी और पक्षाघात के लक्षण दिखाई देंगे। में इस गिलास को जीतनी देर तक पकड़ता रहूंगा यह गिलास मुझपर उतना ही भारी हो जाता है।
शिक्षक ने आगे कहा, “तनाव और चिंताए उस पानी के गिलास के तरह है। इसके बारे में सोचना कोई समस्या नहीं है पर अगर में इसके बारे में ज्यादा सोचता हूँ तो यह जरूर मुझे चोट पहुँचाएंगा। अगर में पुरे दिन इसके बारे में सोचता हूँ तो यह मुझे लकवा देगा और फिर में कुछ नहीं कर पाऊंगा।”
सीख:
जीवन में तनाव और चिंताओं को छोड़ना महत्वपुर्ण है और आप यह जरूर कर सकते है। अपनी स्थिति को स्वीकार करे और आप जो कर सकते है उसपर अपना ध्यान केंद्रित करे।
3. परिवर्तन का पत्थर
एक आदमी को एक बहुत ही पुरानी किताब मिली और उस किताब में परिवर्तन का पत्थर की कहानी थी। एक पत्थर जो किसी भी धातु को शुद्ध सोने में बदल सकता है।
उस कहानी में लिखा था की परिवर्तन का पत्थर भी एक कंकड़ ही होगा जो हर किसी कंकड़ की तरह ही दिखाई देगा। पर रहस्य यह था की यह पत्थर गर्म तप का होंगा।
आदमी ने यह कहानी पढ़ने के बाद उस पत्थर को तलाश ने का फैसला किया और उसके लिए उसने अपनी सारी संपत्ति बेची, कुछ साधारण आपूर्ति खरीदी और उसी तट पर कैंप लगाकर उस पत्थर की खोज उसने शुरू कर दी थी।
आदमी में प्लान किया की वह प्रत्येक कंकड़ को महसूस करने के बाद ही उस पत्थर को समुद्र में फेक देगा। ताकि वह उस कंकड़ को फिर से उठा ना पाए। वह आदमी हर बार कंकड़ उठता उसे महसूस कर पता करता की वह ठंडा है या गर्म उसके बाद ही वह उस कंकड़ को समुद्र में फेंक देता।
उस आदमी ने बहोत दिनों तक ऐसा करता रहा लेकिन उसे वह “परिवर्तन का पत्थर” नहीं मिल पाया। लेकिन वह अपने इस कार्य में लगा रहा और कई महीनों तक उस पत्थर की खोज करता रह गया।
एक दिन वह पत्थर लेता है और वह गर्म था। आदमी ने उस पत्थर को महसूस करने से पहले ही समुद्र में फेक देता और वही पत्थर “परिवर्तन का पत्थर” होता है। वह आदमी उस पत्थर को भी समुद्र में फेंक देता है क्यों की वह आदमी बहोत दिनों से पत्थर को खोज रहा होता है और उसने खुद में कंकड़ फेकने की इतनी आदत लगा ली थी की अब वह उस “परिवर्तन के पत्थर” को भी महसूस नहीं कर पाया था।
सीख:
यह कहानी सिखाती है की दिखाई देने वाली संभावना के लिए हमेशा सतर्क रहना चाहिए।
Short Motivational Story In Hindi
4. घंटी की कीमत
रामदास एक ग्वाले का बेटा था। रोज सुबह वह अपनी गायों को जंगल में चराने लेकर जाता। हर गाय के गले में एक-एक घंटी बँधी थी और जो गाय सबसे सुंदर थी उसके गले में घंटी भी अधिक कीमती बँधी थी।
एक दिन एक अजनबी जंगल से गुजर रहा था। वह उस सुंदर गाय की घंटी को देखकर रामदास को बोला “यह घंटी बड़ी ही प्यारी है और क्या कीमत है इसकी?”
रामदास ने उत्तर दिया बीस रुपये भाई साहब।
वह अजनबी बोला “बस सिर्फ बीस रुपये ! में तुम्हे इस घंटी के लिए चालीस रुपये दे सकता हूँ।”
यह सुनकर रामदास प्रसन्न हुआ और उसने झट से गाय के गले की घंटी उतारकर दी और चालीस रुपये अपने जेब में रख दिए। अब गाय के गले में कोई घंटी नहीं थी और घंटी की टुनक से उसे अन्दाजा हो जाया करता था की उसकी गाये यही पास ही चर रही है।
अब गाय के गले में घंटी नहीं होने के वजहसे अतः अब इसका अन्दाजा लगाना रामदास के लिए मुश्किल हो गया था। कुछ देर बाद रामदास की बिना घंटी वाली गाय चरते-चरते दूर निकल गयी तो उस अजनबी को मौक़ा मिल गया की वह उस गाय अपने साथ लेकर जा सके और मौके का फायदा उठाकर वह गाय को अपने साथ ले चल पड़ा।
तभी रामदास ने उसे देखा और वह रोते हुए घर पहुँचा और साड़ी घटना अपने पिता को सुनाई। रामदास ने पिता से कहा “पिताजी मुझे तनिक भी अनुमान नहीं था की वह अजनबी मुझे घंटी के इतने अच्छे पैसे देकर ढग ले जाएगा।”
सीख:
लालच से हमेशा जीवन में नुकसान ही मिलता है।
5. सच्ची सेवा
एक गांव में एक बिल्ली रहती थी। वह बिल्ली बहुत ही कपटी और चालाक थी और उसे बिना ज्यादा मेहनत किये खाने की आदात थी इसीलिए मुर्गी के बच्चे उसे बहुत ही पसंद आते थे। वह बिल्ली रोजाना दो-चार मुर्गी के बच्चों को खोज कर खा ही जाती थी।
एक दिन उस चालाक बिल्ली को भनक लगी की एक मुर्गी बहुत ही बीमार है। इस बात का फायदा उठाकर वह अपनी हमदर्दी जताने के लिए मुर्गी के पास गयी और कहा, “कहो बहन, कैसी हो?”
कुछ देर बाद बिल्ली ने मुर्गी से कहा “क्या में तुम्हारी ऐसी हालत में कुछ काम आ सकती हूँ? तुम्हारी सेवा करना मेरा फर्ज भी बनता है।”
बीमार मुर्गी बिल्ली की इस बात को सुनकर क्षणभर कुछ सोचती है। फिर बोली “अगर तुम मेरी सचमुच में सेवा करनी चाहती हो तो मेरे परिवार से दूर रहो और अपने भाई-बहनो से भी ऐसा ही करने को कहो।
सीख:
जीवन में कभी भी अपने दुश्मन के शुभकामनाओ पर भरोसा रखना नहीं चाहिए।
6. ज्ञान की प्यास
एक हाई कोर्ट में महादेव रानडे नामक जज थे। उन्हें विविध भाषाएँ सिखने का बड़ा ही शौक था और अपने इस शौक के कारण उन्होंने कई भाषाएँ सिख राखी थी।
जज महादेव रानडे अपने जीवन में अबतक बँगला भाषा नहीं सीख नहीं पाए थे और जब भी वह कभी अकेले में होते तब इसके बारे में सोचकर वह कुछ देर के लिए दुखी भी हो जाते थे।
एक दिन ऐसी ही उन्होंने अपने इस भाषा सिखने के शौक के बारे में सोच रहे थे तभी उन्हें अपने बँगला भाषा सिखने पर एक बहुत ही बढ़िया उपाय सुझा और उपाय यह था की उनके घर के बगल में एक बंगाली नाई था और वह बंगाली भाषा भी बड़ी ही अच्छी बोल लेता था।
उन्होंने उसी बंगाली नाई से आप नई हजामत बनवानी शुरू कर दी और नाई जीतनी देर तक उनकी हजामत करता उतनी देर जज उस नाई से बंगाली में ही बात किया करते थे।
उन्होंने जब इस बात का जिक्र अपनी पत्नी से किया तो उन्हें बहुत ही बुरा लगा और उन्होंने अपने पति से कहा “आप हाई कोर्ट के जज होकर एक नाई से बंगाली भाषा सीख रहे है अगर आपको यह करते हुए कोई देख लेंगा तो क्या इज्जत रह जाएंगी।” आपको बंगाली भाषा सीखनी है तो किसी बड़े विद्वान से सीख लीजिए।
रानडे ने अपनी पत्नी के प्रश्न का हसते हुए उत्तर दिया और कहा, “में तो ज्ञान का प्यासा हूँ और मुझे जात-पात और ऊंच-नीच से क्या लेना देना?” उनका यह उत्तर सुनकर पत्नी ने उनसे अपनी इस गलत और नीची सोच के लिए उन्हें पछतावा हुआ।
सीख:
ज्ञान कभी भी ऊंच-नीच के पिटारे में बंद नहीं रहता है और यह केवल हमारी एक तुच्छ सोच होती है। जिसको ज्ञान प्राप्ति की प्यास है वह कही से भी अपने लिए ज्ञान प्राप्त कर ही लेता है।
7. दो भिक्षु
एक दिन दो भिक्षु एक गांव की ओर एक साथ यात्रा कर रहे थे तभी उन्हें रास्ते में एक नदी के तट पर एक महिला रट हुए दिखाइ दी। तभी वह दोनों भिक्षु उस महिला के पास गए।
दोनों भिक्षुओं में से एक भिक्षु ने महिला से पूछा, “आप क्यों रो रही हो और क्यों इतनी परेशान हो।” महिला ने भिक्षुओं से कहा की मुझे नदी पार कर अपने घर जान है पर में नदी पार नहीं कर सकती हूँ और मुझे दर है की में कही डूब न जाऊँ।
बिना किसी हिचकिचाहट के उस महिला को अपने गोद में उठा लिया और उस महिला को नदी के दूसरी ओर ले गया। उस भिक्षुने महिला को ध्यान पूर्वक निचे उतारा तभी महिला ने भिक्षु को अपनी मदत करने के लिए धन्यवाद कहा।
कुछ देर बाद दोनों भिक्षु चल पड़े तभी दूसरे भिक्षुने उस भिक्षु से सवाल पूछा, “आप यह कैसे कर सकते है?” हमने भिक्षु बनते वक्त ही गरीबी और शुद्धता की शपथ ली है और हमे एक महिला से बात करना भी मना है और आपने उस महिला को अपनी गोद में उठा लिया।
पहले भिक्षु ने चुपचाप सूना और जवाब दिया, “जब में नदी के दूसरी तरफ आया तो मैंने उस महिला को निचे रखा और तुम अब भी उस महिला को अपने साथ क्यों ले जा रहे हो?”
सीख:
हमेशा आदर्शवादी सोच रखना यह हमारे हाथ में है और इसपर ही निर्भर होता है की आप जीवन में अपने साथ क्या लेते है आशा या निराशा?
Short Motivational Story In Hindi
8. पाठ
एक दिन एक शिक्षक अपने छात्रों से परीक्षण के लिए तैयार होने के लिए कहता है और शिक्षक प्रत्येक छात्र के मेज पर उलटा पेपर शीट डालता है। शिक्षक सभी छात्रों को पेपर शीट देने के बाद कहते है, “अब तुम सभी अपनी-अपनी शीट को उठाओं और उसे देखों।”
सभी छात्र शिक्षक का कहना मानकर अपनी शीट है और उसे देखते है। तभी सभी छात्र चकित होकर देखते है की उस शीट के बीच में सिर्फ एक ही काला डॉट होता है।
शिक्षक कहते है, “आप सभी ने शीट पर जो देखा उसके बारे में एक निबंध लिखे।” सभी छात्र शिक्षक की बात सुनकर हतबल होते और निबंध लिखना शुरू करते है। थोड़ी देर बाद सभी शिक्षक को शीट दे देते है।
शिक्षक हर छात्र के शीट को चेक करते है और सभी छात्र शिक्षक के जवाब का इंतजार कर रहे होते है। तभी शिक्षक ने कहा, “तो यह परीक्षण जीवन में एक सबक के रूप में कार्य करता है और आप सभी में से किसी ने भी इस सुंदर शीट के बारे में बात ही नहीं की। हर किसी का ध्यान सिर्फ काले बिंदु पर ही था और उसके बारे में ही लिखा।”
वही बात हमारे जीवन में होती है और जीवन में हमारे पास देखने लिए एक बहुत ही बड़ी सफ़ेद शीट है। लेकिन हम अपना ध्यान सिर्फ काले धब्बे पर ही केंद्रित करते है।
सीख:
जीवन प्रकृति द्वारा दिया गया एक उपहार है, जो हमे प्यार और स्नेह के साथ दिया गया है। हमें जीवन का जश्न्न मनाने हुए हर दिन होने वाले चमत्कारों का आनंद लेने का पर्याप्त कारण मिलता है। लेकिन यह प्रत्येक व्यक्ति के सोच और स्वभाव पर निर्भर करता है।
9. साहस
एक किसान था वह अपने खेत के किनारे झोपड़ी में अपने गधे के साथ रहता था। उस किसान के पास झोपड़ी के पास ही बहुत ही पुराना कुआँ था। एक दिन गधा रात के अंधेरे में उस पुराने कुएँ में गिर गया।
दूसरे दिन जब किसान उठा और उसने देखा की गधा कुऍं में गिर गया है। किसान ने सोचा अब क्या करू, “गधा वैसे भी बूढ़ा हो चुका था और कुऍं को भी कुछ समय में पुराना होने के कारण बंद करना था।”
कुछ देर सोचने के बाद किसान ने निर्णय लिया की वह अपने गधे को उस पुराने कुऍं में उसके साथी के साथ मिलकर गधे को जिन्दा दफन कर देगा। किसान और उसके पडोसी सब अपना-अपना फावडा लेकर आये और कुऍं में रेत फेकना शुरू किया।
अब गधे को भी एहसास हो गया की ये क्या हो रहा है और वह जोर-जोर से चिल्लाने लग गया। गधा कुछ देर चिल्लाते रहा और फिर अचानक से चुप हो गया। तभी किसान और उसके पडोसी ने सोचा की अब गधा नहीं रहा है।
किसान ने अपने गधे को एक बार देखने का फैसला किया और किसान ने कुऍं में झाककर देखा तो किसान चकित हो गया और उसने देखा की गधा अपनी पीठ पर आने वाले रेत के हर फावडे को हिलाकर निचे गिरा देता और फिर खुद उस रेत पर खडा हो जाता था। इस तरह गधा रेत के हर फावडे को नीचे गिराने के लिए अपनी पीठ हिलाता और फिर उसपर खडा होकर कुऍं से आसानी से बाहर निकल आया।
सीख:
याद रखिए हमेशा सफलता के मार्ग पर लोग पत्थरों को फेककर बाधा उत्पन्न करेंगे। यह आपके ऊपर निर्भर करता है की आप क्या बनते है एक दिवार या पुल।
10. संतुष्टि
एक अमीर कारखाने के मालिक ने अपनी नाव के बगल वाले मछवारे से पूछा, “तुम मछली पकड़ क्यों नहीं रहे हों?” मछुवारे ने कहा, “क्यों की आज के लिए पर्याप्त मछली पकड़ ली है।”
अमीर आदमी ने कहा, “आप और मछली क्यों नहीं पकड़ते?”
मछुवारे ने कहा, “मै अधिक मछली पकड़कर क्या करूंगा और आज के लिए मेरे पास पर्याप्त मछली है। आप बताए मछवारे ने पूछा?”
अमीर आदमी ने कहा, आप ज्यादा मछली बेचकर ज्यादा रूपए कमा सकते है और इसके साथ ही आप एक मोटर नाव भी खरीद सकते है। फिर आप नायलॉन जाल खरीदने के लिए पर्याप्त कमा सकते है और वे आपको अधिक मछली और अधिक पैसा दिला सकते है। इसके साथ जल्द ही आपके पास दो नाव और खरीदने के लिए पैसे होंगे। अगर ऐसा करोंगे तो तुम भी मेरे जैसे अमीर आदमी बन जाओंगे।
मछुवारे ने अमीर आदमी की बाते सुनकर पूछा, “तब में क्या करूंगा?”
कारखाने के मालिक ने जवाब दिया तब आप वास्तव में जीवन का आनंद ले सकते है।
मछुवारे ने जवाब दिया, “आपको क्या लगता है में अभी खुश और आनंदमय नहीं हूँ क्या?” मुझे पता है जीवन में मुझे जितना भी सुख और संसाधन मिले में उन सब में में बहोत खुश हूँ और अगर में इन्हे ज्यादा मात्रा में पाने की कोशिश करूँगा तो यह मेरे लिए निराशा और दुःख का कारण बनेगा और में यह नहीं चाहता। इनसे मेरी लालच और बढ़ेंगी जो मुझे कभी सुखी जीवन व्यतीत नहीं करने देंगी।
अब अमीर आदमी को मछुवारे की बाते समझ आयी और वह समझ गया की सच्ची संतुष्टि ज्यादा पाने में नहीं बल्कि हमारे पास जो है उसमे खुश रहने में है।
सीख:
याद रखिये इस सृष्टि में अनंत मात्रा में वस्तुएं उपलब्ध है और आप जितना इस संसाधनों को प्राप्त करोंगे, उतनी ही ओर अधिक इन संसाधनों को पाने की लालसा मन उत्पन्न होंगी। यही हर एक प्राणी का स्वाभाव है और इसके लिए संतुष्ट होना महत्वपूर्ण है।
11. सबसे बड़ा गरीब
एक महात्मा भ्रमण करते हुए एक नगर से जा रहे थे। मार्ग में उन्हें एक रुपया मिला। महात्मा तो संतोषी और विरक्त व्यक्ति थे। वे भला उसका क्या करते? अतः में उन्होंने किसी गरीब व्यक्ति को वह रुपया देने का निर्णय किया। कई दिनों तक वह तलाश करते रहे, लेकिन उन्हें कोई गरीब मिला ही नहीं।
एक दिन उन्होंने देखा की एक राजा अपनी सेना के साथ दूसरे राज्य पर चढ़ाई करने जा रहा है। तभी साधु ने वह रुपया उस राजा के ऊपर फेंक दिया। इसपर राजा नाराज और चकित हो गया।
अब राजा ने साधू से उसे ऐसा करने का कारण पूछा तभी साधु ने कहा, “राजन! मेने एक रुपया पाया और उसे एक गरीब को देने का निर्णय लिया। लेकिन बहोत खोजने के बाद भी मुझे तुम्हारे जितना गरीब व्यक्ति नहीं मिला।”
क्यों की जो इतने बड़े राज्य का अधिपति होने के बाद भी दूसरे राज्य पर चढ़ाई करने जा रहा हो और इसके लिए युद्ध में अपार संहार करने जा रहा हो और उससे ज्यादा इस दुनिया में कोण गरीब हो सकता है?
अब साधु की बात को सुनकर राजा का क्रोध शांत हुआ और उसने अपनी भूल पर पछतावा हुआ और उसने अपनी सेना को आदेश देकर वापस अपने राज्य की और निकल पड़ा।
सीख:
हमें सदैव संतोषी वृति रखनी चाहिए। संतोषी व्यक्ति को अपने पास जो साधन होते है, वे ही पर्याप्त लगते है। उसे कभी लालच की भूख नहीं सताती है।
12. असाधारण सोच
एक बार कक्षा छठी में चार बालकों को परीक्षा में समान अंक मिले, अब प्रश्न खड़ा हुआ की किसे प्रथम रैंक दिया जाए। स्कूल के प्रबन्धन ने तय किया की प्राचार्य चरों से एक सवाल पूछेंगे।
जो बच्चा सबसे सटीक उसका उत्तर देगा उसको प्रथम घोषित किया जाएगा। चारों बच्चे हाजिर हुए अब प्राचार्य ने सवाल पूछा, “दुनिया में सबसे तेज क्या होता है?”
एक नंबर के बच्चे ने उत्तर देते हुए कहा, “मुझे लगता है विचार सबसे तेज होता है।” क्यों की दिमाग में कोई भी विचार तेजी से आता है, जीवन में इससे तेज कोई नहीं है। प्राचार्य ने कहा ठीक हे बिलकुल सही जवाब है।
दो नंबर के बच्चे ने उत्तर में कहा की मुझे लगता है “पलक झपकाना’ ही दुनिया में सबसे तेज होता है। हम जब कुछ कार्य कर रहर होते है तब हमे पता भी नहीं चलता और पलके झपक जाती है और अक्सर कहा जाता है, “पलक झपकते” काम हो गया। प्राचार्य बोले बहुत खूब बच्चे अच्छे से दिमाग लगा रहे है।
तीन नंबर के बच्चे ने उत्तर दिया, “बिजली” क्यों की मेरे यहाँ गैरेज है मेरे घर से जो सौ फुट की दूरी पर है और मुझे जब बत्ती जलानी होती है, तब में अपने घर से सिर्फ बटन प्रेस करता हूँ और तत्काल हमारे गैरेज में बिजली की वजहसे बल्ब की रोशनी हो जाती है। इसीलिए मुझे लगता है की बिजली सबसे तेज होती है। इसके बाद बारी आई चौथे बच्चे की सब उसे ध्यान से सुनने के लिए तैयार हो गए। क्यों की लगभग सभी तेज बातों का उल्लेख तीनो बच्चे पहले ही कर चके थे।
चौथे नंबर के बच्चे ने उत्तर में कहा, सबसे तेज होता है “डायरिया” यह उत्तर सुनकर सभी चौक गए। तभी प्राचार्य ने बच्चे से कहा साबित करो कैसे? चौथे नंबर
बच्चा बोला, कल मुझे डायरिया हो गया था और यह रात के दो बजे की बात है, जब तक की में कुछ “विचार” कर पाता, या “पलक झपकाता” या की “बिजली का स्विच” दबाता, तबतक डायरिया अपना “काम” कर चुका था।
प्राचार्य ने इस असाधारण सी सोच वाले बालक का उत्तर सुना और उसे ही प्रथम घोषित कर दिया।
सीख:
ये कहानी हमे सीखाती है की सफलता को प्राप्त करने की कुंजी हमारे विचारों में ही होती है। जो लोग जीवन में सामान्य सोच रखते है वह अपने जीवन में लक्ष्य को कभी भी प्राप्त नहीं कर सकते है। हमारी असाधारण सोच और अलग दिशा में विचार करने की क्षमता ही हमे अपने सपनों को पाने मदद करती है।
13.उपदेश
बात उन दिनों की है जब छत्रपति शिवजी महाराज मुगलों के खिलाफ छापा मार युद्ध लड़ रहे थे। एक दिन रात को वे थके-माँदे एक वनवासी बुढ़िया की झोपड़ी में पहुँचे और उन्होंने कुछ खाने के लिए माँगा।
बुढ़िया के घर में खाने के लिए सिर्फ चावल था तो बुढ़िया ने उससे प्रेम पूर्वक भात पकाया और उनको खाने के लिए परोस दिया। छत्रपति शिवजी महाराज बहुत ही भूखे थे, सो खाने की आतुरता में वह अपनी उँगलियों को जला बैठे।
वे अपने हाथ की जलन को शांत करने के लिए अपने मुँह से उँगलियों पर फूंक मरने लग गए और यह देख उस बुढ़िया ने गौर से उनकी चेहरे की तरफ देखा और बोली, “सिपाही तेरी सूरत शिवाजी जैसी लगती है और साथ ही यह भी की तू उसी की तरह मुर्ख है। ”
शिवाजी बुढ़िया की बाते सुनकर स्तब्ध रह गए और उन्होंने बुढ़िया से पूछा, “भला शिवाजी की मूर्खता तो बताओ और साथ ही मेरी भी।”
बुढ़िया ने उत्तर दिया, “आपने किनारे-किनारे से थोड़ा-थोड़ा ठंडा भात खाने की अपेक्षा के बीच में सारे भात में ही हाथ डाल दिया और अपनी उँगलियाँ जला ली।” यही मूर्खता शिवाजी करता है।
वह दूर किनारों परे बसे छोटें-छोटें किलों को आसानी से जीत सकता है पर अपनी शक्ति को बढ़ने की अपेक्षा में वह बड़े किलों पर धावा बोल देता है और हार जाता है।
छत्रपति शिवाजी महाराज को अपनी रणनीति के विफलता का कारण विदित हो गया। उन्होंने बुढ़िया की सीख मानी और पहले छोटे लक्ष्य बनाए और उन्हें पूरा करने की रीती-नीति अपनाई। इस प्रकार उनकी शक्ति बढ़ी और अतः में वे बड़ी विजय को पाने में सफल हुए।
सीख:
शुभारंभ हमेशा छोटे-छोटे संकल्पो से होता है, तभी बड़े संकल्पों को पूरा करने का आत्मविश्वास जागृत होता है।
Short Motivational Story In Hindi FAQ
- रियल मोटिवेशन क्या है?
रियल मोटिवेशन वो होता है जो हमे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है और जो हमे हमारी असफ़लता के हर कदम पर हमेशा आगे बढ़ने के लिए मोटीवेट करता है और हर असफलता से कुछ ना कुछ नया सीखने के लिए प्रेरित जरूर करता है। - खुद को प्रेरित कैसे रखें?
खुद को प्रेरित रखने के लिए हमेशा अपने लक्ष्य की निर्धारित करो और सकारात्मक सोच को अपनाना चाहिए। अपने लक्ष्य प्राप्ति में होने वाले हर एक गलती से कुछ सीखना चाहिए जो हमे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते रहे। - सेल्फ मोटिवेशन क्यों महत्वपूर्ण है?
सेल्फ मोटिवेशन क्यों महत्वपूर्ण क्यों की यह हमे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करता है और लक्ष्य प्राप्ति में आने वाले हर एक चुनौतिओं का सामना करने के लिए सेल्फ मोटिवेशन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। - मोटिवेशन से क्या लाभ है?
सकारात्मक सोच का निर्माण होता है।
लक्ष्य निर्धारित होता है।
आत्मविश्वास और उत्साह बढ़ता है। - सेल्फ मोटिवेशन कितने प्रकार के होते हैं?
आतंरिक और बाहरी ये सेल्फ मोटिवेशन के दो प्रकार होते है।
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निष्कर्ष:
Short Motivational Story In Hindi के कहानिओं का निष्कर्ष यह है कि हमे जीवन में सफलता पाने के लिए सकारात्मक सोच, आत्मविश्वास, प्रेरणा, और उत्साह की जरुरत होती है। ये मोटिवेशनल कहानिया हमे सीखती है की अगर हम खुद को अपने लक्ष्यों के प्रति समर्पित रहते हैं तो हमे हार नहीं बल्कि जीत ही प्राप्त होती है। इन मोटिवेशनल कहानिया हमे सिखाती है की लक्ष्य प्राप्ति में विफलता आने का अर्थ होता है की हम अपनी गलतिओं को सुधारे और अपने लक्ष्य के प्रति आगे बढ़ते रहे।
आपको मोटिवेशनल कहानिया कैसी लगी हमे कमेन्ट करके के जरूर बाताए और ऐसे ही अच्छी कहानिया Short Motivational Story In Hindi पढ़ने के लिए Hindi Ki Story के साथ जुड़ते रहे ! आपका धन्यवाद !