Krishna Motivational Story In Hindi With Moral – भगवान कृष्ण का जन्म भगवान विष्णु के आठवे अवतार के रूप में हुआ था। भगवान कृष्ण का जीवन ना केवल युद्धों बल्कि बहोत सारी रोमांचक लीलाओं से भरा हुआ है। भगवान कृष्ण की लीलाये हमे सिखाती है की सदा दूसरों की सेवा करनी चाहिए। अगर देखा जाए तो भगवान कृष्ण को हमेशा से ही मनुष्य जाति के लिए एक मार्गदर्शक और आदर्श माना जाता है। भगवान कृष्ण का जीवन दर्शन हमे हमेशा अपने कर्म, कर्तव्य और कठिन परिस्तियों का सामना करना सिखाता है।
भगवान कृष्ण का सिक्का – Krishna Motivational Story In Hindi With Moral
एक गावं में एक गरीब साधु रहते थे वो भगवान कृष्ण के बहोत बड़े भक्त थे वो घर-घर जाकर लोगों से भिक्षा मांगते थे। लोग उन्हें पैसे या फिर भोजन देते थे और साधु उन्हें आशीर्वाद देते थे।
भगवान कृष्ण ने एक दिन उनकी परीक्षा लेने का निर्णय लिया और एक दिन साधु नदी के किनारे से जा रहे थे तभी उन्हें सोने के सिक्कों से भरी एक पोटली मिली वो बहुत ही खुश हुए और पोटली अपने पास ही रखने का निर्णय लिया।
घर वापस जाते समय उन्हें रास्ते में एक भिखारी दिखा और भिखारी ने साधु से पैसे अथवा भोजन की भिक मांगी पर साधु उसे कुछ भी नहीं दिया वो जब वापस चल रहे थे तभी थोड़ी ही दूर साधु को जमीन पर एक चमकता हुआ हीरा दिखाई दिया और उन्होंने अपने आप से कहा की वाह कितना अच्छा दिन है पहले ये सोने का सिक्का और अब ये हीरा मिला है।
साधु जैसे ही वह हीरा लेने के लिए निचे झुके एक चोर ने आकर उनपर छलांग लगाई और सोने के सिक्कों से भरी हुई पोटली खींचकर वहा से भाग गया असल में वो हीरा सिर्फ एक कांच का टुकड़ा था जो चोर ने जान बुज़कर साधुको वहा फ़साने के लिए वहा रखा था।
साधु बहोत ही दुखी हो गए साधु वापिस अपने घर की और चलने लगे तभी भगवान कृष्ण ने एक साधारण मनुष्य का अवतार लिया और साधु को मिलने का निर्णय लिया वो साधु को मिले और उन्होंने साधु को एक सिक्का दिया और कहा की कृपा करके मेरे इस सिक्के को स्वीकार कर लीजिये अब साधुने उस सिक्के को स्वीकार कर लिया और भगवान कृष्ण वहा से निकल गए।
साधु को विचार आया ये क्या है और इससे में क्या कर लूंगा मुझे नहीं लगता ये सिक्का मेरे कोई काम आयेंगा तब घर जाते समय साधू को रास्ते में एक मछवारा मिला और मछवारे के जाल में दो मछलियां फसी हुई थी।
साधु को उनपर बहोत दया आई इसी लिये उन्होंने मछवारे से कहा में तुम्हें यह सिक्का देता हु और तुम मुझे यह दोनों मछलिया दे दो मछवारा मान गया और साधु ने तुरंत ही उन मछलियों को पानी से भरे मटके में रख दिया उन्होंने सोचा की दूसरे दिन वो जाकर इन दोनों मछलिओं को नदी में छोड़ आएंगे।
दूसरे दिन वो जब नदी में मछलिओं को छोड़ने गए तब उन्होंने जो देखा तो वह एकदम चकित हो गए और नदी में दो हिरे थे वह देखकर साधु बहोत ही खुश हुए पर समझ नहीं आया की ये सब क्या हो रहा है। उन्होंने भगवान कृष्ण से प्राथना की और भगवान कृष्ण साक्षात साधु के सामने आये तब साधु ने कृष्ण भगवान से कहा की ये सब क्या हो रहा है।
भगवान कृष्ण बोले मछलियां जब पानी में थी तब वह भूल से हीरों को निगल चुकी थी और अब तुम्हे हिरे मिले क्यों की तुमने उनकी जान बचाई तभी साधु के आँख में पानी आया और उन्होंने भगवान कृष्ण को धन्यवाद कहा तभी भगवान कृष्ण बोले तुम्हे सोने से भरी हुई पोटली मिली पर फिर भी तुमने उस भिखारी की मदत ही नहीं की है।
तुम्हारे उस हिरे के लालच में तुमने उस सोने के सिक्कों को भी खो दिया हमेशा दूसरों की मदत करनी चाहिए और कभी भी लालच नहीं रखना चाहिए तभी साधु ने भगवान कृष्ण को वचन दिया की वह हमेशा दूसरों की मदत करेंगे और कभी भी लालची नहीं बनेगें।
सीख:-
ये कहनी हमे यह सिखाती है की हमे अपने जीवन में लालच कभी नहीं करनी चाहिए और लालच ही हमारे जीवन के दुखों का कारन होती है और भगवान ने हमे जो कुछ भी दिया है हमे उसमे ही समाधानी रहना सीखना चाहिए।
अपनी तुलना किसी से ना करे
एक बार की बात है अर्जुन श्री कृष्ण से कहते है में इतना कुछ करता हु और इतना दान करता हु फिर भी दानवीर कर्ण क्यों बोला जाता है। इस ब्रम्हांड में सबसे बड़ा दानवीर जो कर्ण है और मुझे क्यों नहीं बोला जाता अब कृष्ण इस बात पे मुस्कुरा जाते है।
श्री कृष्ण अर्जुन को बोलते है चलो मेरे साथ वो अर्जुन को दूर एक जगह पर लेकर जाते है जहा पर एक बहोत बड़ा पहाड़ होता है और श्री कृष्ण जैसे ही वो पहाड़ को छूते है पहाड़ पुरे का पूरा सोने का बन जाता है और वो अर्जुन को बोलते है की ये पहाड़ में तुम्हे देता हु और इस सोने को तुम लोगों के बीच बांट दो।
अब अर्जुन वहा खड़े हो जाते है और आस-पास के गावों में घोषणा कर देते है की में अर्जुन सोना बाटने वाला हु और आप सबकी जरूरते पूरी हो जाएंगी और आप आए और सोना लेकर जाए अब अर्जुन रोज सुबह से शाम तक सोना बाटने लग जाते है।
अर्जुन रोज सोना बांट रहे होते है और लगातार सोना बांट रहे होते है तो अर्जुन थक जाते है और थक जाने के बाद अर्जुन बोलते है में इतना सोना दे रहा हूँ। अब जिस व्यक्ति की जितनी जरुरत होती है वह उतना सोना लेकर जाता है फिर भी एक व्यक्ति बोलता है मेरे घर में शादी है तब अर्जुन बोलते है तुम ज्यादा सोना लेकर जाओं।
कोई व्यक्ति बोलता है मेरे घर में मेरी माँ बीमार बीमार है तब अर्जुन उन्हें भी ज्यादा सोना दे देते है। अब अर्जुन लोगों को सोना देते ही जा रहे पर लोगों की सोना लेने के लिए लाइन ख़त्म ही नहीं हो रही है और लोग दूर-दूर से सोना लेने के लिए आने लग जाते है।
अब अर्जुन पूरी तरह थक जाते है और श्री कृष्ण को बोलते है की में लोगो को सोना देते जा रहा हु और लोग तो समाप्त ही नहीं हो रहे है तभी श्री कृष्ण अब कर्ण को बुलाते है और कर्ण को बोलते ये सोने का पहाड़ में तुम्हे देता हु इसे लोगों के बिच में बांट दो और कर्ण कहते है ठीक है आप जैसा कहे अब कर्ण वहा खड़े हो जाते है।
कर्ण घोषणा करते है ये जो सोने का पहाड़ ये में आप सबको दान देता हु अब ये बोलके कर्ण वहा से चले जाते है अब कर्ण के जाने के बाद श्री कृष्ण बोलते है अर्जुन से जब तुम सोना दे रहे थे और तुम कोण होते हो ये ठहराने वाले की किसे कितना सोना देना है और तुम जब सोना दे रहे थे तब तुम खुद की तारीफ सुनने के लिए दे रहे थे जबकि ये सोना तुम्हारा था ही नहीं। जब कर्ण आया और उन्होंने सिर्फ लोगों में घोषणा कर दी सब सोना ले लो ये फर्क है तुम में और कर्ण में और इसी लिए कर्ण को दानवीर कहा जाता है।
सीख:-
ये कहनी हमे यह सिखाती है की प्रत्येक व्यक्ति की उसके जीवन अपनी खुद की क्षमता, प्रतिभा और अनुभवों के साथ हर व्यक्ति अद्वितीय होता है और उन व्यक्तिओं से खुद की तुलना करना व्यर्थ होती है और हमेशा निराशा की और ले जाती है।
आपको मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी कैसी लगी हमे कमेन्ट करके के जरूर बाताए और ऐसे ही अच्छी कहानिया (Krishna Motivational Story In Hindi With Moral) पढ़ने के लिए Hindi Ki Story के साथ जुड़ते रहे ! आपका धन्यवाद !