Kids Story In Hindi: हिंदी कहानियां बच्चों के लिए काफी महत्वपूर्ण होती है जो बच्चों के कई तरह विकास के सहायक भी होती है। बच्चों को कहनियां सुनाने से उनमे शब्दावली और वाक्य रचना और मजबूत होती है जो उनके भाषा का विकास करने मदद करती है। कहानियों के काल्पनिक पात्रों की वजहसे से बच्चों की कल्पना शक्ति बढ़ती है और वह खुद से ही कहानिया सुनाने, पढ़ने और चित्र बनाने जैसी क्रिया करने लगते है। शॉर्ट स्टोरी फॉर किड्स इन हिंदी के इस आर्टिकल में बच्चों के लिए कहानिया है। जो बच्चों को खास तौर पर काफी पसंद आती है।
चूहें को मिली पेंसिल
एक बार एक चूहा एक घर में खाने के लिए कुछ ढूंढ रहा था तभी उसे एक पेंसिल मिलती है। अब क्या था चूहें ने उस पेंसिल को अपने मुँह में पकड़कर अपने बिल में घुसने लगा।
पेंसिल चूहें से गिड़गिड़ाकर कहने कहने लगी “मुझे छोड़ दो, मुझे जाने दो” और भला में तुम्हारे किस काम की हूँ में एक लकड़िका टुकड़ा हूँ जो खाने में भी अच्छी नहीं है और अगर तुम मुझे ख़ालोंगे तो तुम हजम भी नहीं कर पाओंगे।
चूहा पेंसिल से बोला “में तुम्हें कतरुंगा क्यों की मुझे अपने दांत पैने और छोटे रखने के लिए कुछ ना कुछ कुतरना जरूर पड़ता है और यह कहकर चूहें ने पेंसिल को को कुतरना शुरू कर दिया।
अब पेंसिल दर्द के मारे जोर से चिल्लाने लगी और कहने लगी “उई! मुझे बहोत दर्द हो रहा है।” पेंसिल ने चूहे से विनंती की और कहा मुझे अपना आखरी चित्र तुम बना लेने दो फिर तुम जो चाहे कर लेना।
चूहें ने कहा “ठीक है तुम चित्र बना लो बादमे में तुम्हारे कुतरकर टुकड़े-टुकड़े कर दूंगा।” अब चूहें की इस बात को सुनकर पेंसिल ने धन ढंडी सांस ली और एक पेपर पर एक बड़ा सा गोल बनाया।
यह देख चूहें ने कहा “यह क्या पनीर टुकड़ा है।” पेंसिल ने कहा ठीक है हम इसे पनीर ही कहेंगे और पेंसिल ने फिर से बड़े गोले के अंदर और तीन छोटे गोले बनाए।
चूहें ने पेंसिल से कहा इसमें जो ओर छेद तुम बनाई हो उसके वजह से यह पूरी तरह अब पनीर ही लगने लगा है। पेंसिल ने कहा चलो हम उन्हें पनीर में छेद ही बोलेंगे और फिर पेंसिल ने बड़े गोले के निचे एक ओर गोला बनाया। यह देखकर चूहा बोला “अरे यह तो सेब है।” पेंसिल ने कहा हां हम इसे सेब ही कह लेते है और फिर पेंसिल ने बड़े गोले के पास कुछ अजीब चित्र बनाए।
चूहा बोला “अरे वाह यह तो चमचम है।” अब चूहे के मुँह में पानी आने लगा और पेंसिल से बोला जल्दी करों मुझे इसे खाना है। अब पेंसिल ने ऊपर वाले गोले के ऊपर और दो छोटे त्रिकोण बना दिए।
यह देख डर के मारे चूहा चीखा और बोला अब तुम इसे बिल्ली की तरह बनाने लगी हो और आगे इसे मत बनाओ। लेकिन अब कहा पेंसिल उसकी बात मानने वाली थी उसने अब बिल्ली के मुँह को बनाया और लंबी मुछे भी बना डाली।
अब चूहा पूरी तरह घबराया और बोला “अरे बापरे यह तो पूरी बिल्ली बन गयी अब और डर कर अपने बिल में घुस गया।”
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नाव चली – Kids Story In Hindi
एक दिन मेंढक, चूजा, चूहा, चींटी और गुबरैल सब सैर पर निकले। रास्ते से चलते हुए वह सब एक झील के किनारे पहुँच गए अब झील में पानी देखकर मेंढक पानी में कूद गया और तैर ने लगा और बाकी को भी तैर ने को कहा।
चूजा, चूहा, चींटी और गुबरैल ने कहा “हमे तो तैरना नहीं आता है।”
मेंढक ने कहा टर्र टर्र अब तो तुम्हारा यहाँ कोई काम नहीं है और जोर से हसने लगा। मेंढक इतना जोर से हसने लगा की उसकी सांस अटकने लगी। यह देखकर चूजा, चूहा, चींटी और गुबरैल को बहुत बुरा लगा उन्होंने इसपर कोई उपाय निकालने की सोची।
उन्होंने एक तरकीब निकाली और चूजा एक पेड़ के पास गया और एक बड़ा सा पत्ता लेकर वापस लौटा। चूहा एक अखरोट का छिलका लेकर आया। चींटी एक सरकण्डा लेकर आई और गुबरैल ने एक काले धागे का लंबा टुकड़ा लाया।
फिर क्या सब काम में लग गए और उन्होंने सरकण्डे को अखरोट के छिलके के अंदर फसा दिया और पत्ते को धागे से उसमे बाँध दिया। अब देखते ही कुछ ही मिनटों में एक नाव तैयार हो गयी।
सब ने मिलकर नाव को पानी में सरकाया और सब उसपर सवार हो गए और नाव चल पड़ी। मेंढक अपना सर पानी से बाहर निकाल कर हसने ही वाला था तभी उसने देखा की उसके मित्र एक नाव में बैठे है और वह दूर निकल चुके है।
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चूजें की दोस्त – शॉर्ट स्टोरी फॉर किड्स इन हिंदी
एक बिल्ली थी जिसकी आँखे चमकीली और गोल मटोल पूँछ और सफेद-सफेद मूछें थी। देखने में वह बहुत ही अच्छी लगती थी शेर की मौसी जो थी। बिल्ली रोज अपने घर से शिकार पर निकलती थी। बिल्ली चूहें, खरगोश और छोटी चिड़ियों की शौक़ीन थी। कभी कभार मेंढक और गिलहरी भी खा लेती थी।
एक सुबह बिल्ली जब शिकार की लिए निकल तब उसे एक पेड़ के निचे नन्हा मुना चूजा अकेला खेलता हुआ दिखा। अब बिल्ली उसे पकड़ ने के लिए दबे पाँव उसके और बढ़ने लगी और जब बिल्ली उसके पास पहुंची तो चूजा बिलकुल भी उसको देखकर डरा नहीं।
नन्हें चूजे ने पहली बार बिल्ली देखि थी और वह उसे बहुत ही अच्छी लगी। चूजा किलकारियां भरने लगा और चूँ-चूँ करकर उसके चारों तरफ घूमने लगा। चूजा कभी बिल्ली की पुंछ पकड़ने की कोशिश करता तो कभी उसकी मूंछ।
अब बिल्ली को भी चूजे की प्यारी शरराते बहोत ही अच्छी लगने लगी और वह भी म्याऊं-म्याऊं करके चूजे के साथ खेलने लगी। अब चूजा और बिल्ली खेलने में मस्त थे तभी चूजे की माँ मुर्गी वहा आयी और अपने बच्चे को बिल्ली के साथ खेलता देख वह घबरा गई।
मुर्गी समझ रही थी की बिल्ली चूजे खा जाएंगी और घबराहट में वह जोर से रोने लगी। यह देख बिल्ली ने सोचा की ऐसी कोई बात नहीं है और यह समझाने के लिए मुर्गी की और बढ़ने लगी तभी चूजा कूदकर बिल्ली की पीठ पर जा बैठा यह देख अब मुर्गी ज्यादा डर गयी थी।
बिल्ली ने मुर्गी से कहा “नहीं-नहीं डरो मत में इसे नहीं खाउंगी और यह तो बहोत ही प्यारा है और अब मुझे भी इससे प्यार हो गया है।” तभी चूजा बिल्ली की पीठ से उतरकर अपनी माँ के पास आया और मुर्गी ने उसे अपने पंखों के निचे छुपा दिया।
बिल्ली वही थी और चूजे को देख रही थी। तभी चूजा फिर बिल्ली के पास आया और बोला “आज से तुम मेरी दोस्त हो और में तुम्हारा हूँ।” यह सुन बिल्ली को बहुत ही अच्छा लगा और फिर धीरे-धीरे सब उसके दोस्त बन गए।
एक जंगल सर्दियों का मौसम था और सुबह के वक्त भी जंगल के चारों ओर कोहरा ही कोहरा रहता था। इसी बिच एक शेर का बच्चा ठंड के मारे गोल-मटोल हुए जामुन के पेड़ के नीच पड़ा हुआ था।
इधर भालू सहाब इतनी ठंड में सैर पर निकले थे और वह भी ठंड के मारे बेहाल था। तभी उनकी नजर उस जामुन के पेड़ के निचे पड़ी भालू सहाब ने अपनी आँखे फाड़ी, अकाल दौड़ाई और बोला अरे वाह फुटबॉल चलो इसके साथ खेलकर अपने शरीर में कुछ गर्मी बढ़ाता हूँ।
भालू साहेब को समझ ही नहीं आया की यह एक शेर का बच्चा है। फिर क्या था भालू जी ने ना आव देखा ना ताव जोर से अपने पैरों से शेरे के बच्चे को हवा में उछाल दिया।
हवा में उछाल ने की वजह से शेर का बच्चा के पेड़ की डाल से टकराया और हड़बड़ी में उसने उस डाल को पकड़ लिया मगर शेर का बच्चा डाल से छूट गया। अब भालू साहेब को यह देख कर सब मामला समझ आया।
भालू साहेब ने अगले ही पल फुर्ती से पेड़ के निचे जाकर अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाए और शेर के बच्चे को कैच कर लिया। इन सब के भालू साहेब थोड़ा पछताए पर शेर के बच्चे को मजा आने लगा और भालू साहेब से कहने लगा फिर से एक बार और ऊपर उछालों।
भालू साहेब ने शेर के बच्चे को दो-तीन बार अपने हाथों से हवा में उछाला फिर यही बार-बार करके भालू साहेब थक गए और परेशान हो गए। भालू साहेब खुद से कहने लगे “किस आफत में सुबह-सुबह खुद को फसा लिया मैंने।”
भालू साहेब ने शेर के बच्चे को एक बार ओर हवा में उछाल दिया और गायब हो गया पर इस बार शेर का बच्चा धड़ाम से पर गिर गया और उसे चोट लग गयी। अब शेर के बच्चे को ऊपर उछाल ने की वजह से पेड़ की डालियों का नुकसान हो गया था।
यह देख पेड़ बच्चे से बोला लाओ मुझे हरजाना दो तभी बच्चा बोला मुझे ठीक होने दो फिर दे दूंगा यह कहकर शेर का बच्चा वहा से फरार हो गया।
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