Gautam Buddha Motivational Story In Hindi – गौतम बुद्ध का जीवन कठिनाइयों और संघर्ष से भरा हुआ है। उनके जीवन की यात्रा हमे काफी कुछ सीखा कर जाती है। कठिन परिश्रम, दृढ़ संकल्प और सहानुभूति के माध्यम से हम अपने जीवन में किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
उनकी शिक्षाएं हमें आशा प्रदान करती हैं और हमें यह विश्वास दिलाती हैं कि हम सुख और शांति प्राप्त कर सकते हैं।
राजकुमार से बुद्ध और ज्ञान की खोज – Gautam Buddha Motivational Story In Hindi
राजकुमार सिद्धार्थ एक सुखी जीवन व्यतीत किया करते थे और उनके पास वह सब कुछ था जो एक राजकुमार के पास होना चाहिए जैसे की भव्य महल, स्वादिष्ट भोजन, और मनोरंजन के अनगिनत साधन,लेकिन राजकुमार सिद्धार्थ के भीतर एक गहरी बेचैनी थी। उन्हें दुनिया के दुःख, बीमारी, बुढ़ापा और मृत्यु के बारे में जानने की तीव्र इच्छा थी।
एक दिन, राजकुमार सिद्धार्थ महल से बाहर निकलने का अवसर पाकर, उन्होंने ने पहली बार दुःख, बीमारी, बुढ़ापे और मृत्यु का साक्षात्कार किया। यह उनके लिए एक गहरा सदमा था। उन्होंने महसूस किया कि इन दुखों से कोई भी छूटा नहीं है, चाहे वह राजा हो या प्रजा।
इस अनुभव उन्हें दुखी कर दिया और उन्होंने राजपाट त्यागने और इन दुखों का कारण जानने का प्रण लिया। उन्होंने वैभवपूर्ण जीवन छोड़ दिया और एक साधारण साधु का जीवन अपना लिया।
राजकुमार सिद्धार्थ ने कई वर्षों तक, उन्होंने विभिन्न शिक्षकों से ज्ञान प्राप्त किया और कठोर तपस्या की। उन्होंने गहरे ध्यान में बैठकर जीवन के रहस्यों को समझने का प्रयास किया। आखिरकार, एक रात, बोध गया में एक पीपल के पेड़ के नीचे ध्यान करते समय, उन्हें ज्ञान की अनुभूति हुई और वह बुद्ध बन गए।
बुद्धत्व को प्राप्त करने के बाद, उन्होंने अपना शेष जीवन दूसरों को दुखों से मुक्ति का मार्ग सिखाने में लगा दिया। उन्होंने चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग की शिक्षा दी, जो दुख से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
सीख:
गौतम बुद्ध की कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्ची खुशी भौतिक सुखों में नहीं, बल्कि ज्ञान और करुणा के मार्ग पर चलने में मिलती है। वे हमें यह भी याद दिलाते हैं कि कठिन परिश्रम, दृढ़ संकल्प और सहानुभूति के माध्यम से हम अपने जीवन में किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
अछूत विचार – Gautam Buddha Motivational Story In Hindi
एक बार गौतम बुद्ध वैशाली नगरी में धर्म प्रचार के लिए जा रहे थे। जब वे नगरी के बीचो-बिच से गुजर रहे थे तब उन्होंने देखा की कुछ सैनिक एक लड़की का पीछा करे रहे है तभी वह डरी हुई लड़की एक कुवें के पास जाकर खड़ी रह गई और वह हाफ रही थी और प्यासी भी थी।
तभी बुद्ध ने उस बालिका को अपने पास बुलाया और कहा की वह कुवें से पानी निकाले और स्वयं भी पिए और उन्हें भी पिलाये इतनी देर में वह सैनिक भी वहा पहुँच गए बुद्ध ने उन्हें हाथ के संकेत से रुकने के लिए कहा।
बुद्ध की बात सुनकर लड़की ने कहा, “महाराज में एक अछूत लड़की हूँ और मेरे कुवें से पानी निकाल ने पर जल दूषित हो जाएगा” तभी बुद्ध ने उससे फिर कहा बालिका बहोत जोर की प्यास लगी है पहले तुम पानी पिलावो।
तभी कुछ देर बाद वैशाली नगरी के राजा भी आ गए फिर उन्होंने बुद्ध को नमन किया बादमे सोने के बर्तन में केवड़े और गुलाब का सुगंधित पानी पिने के लिए दिया पर गौतम बुद्ध ने उसे पिने से मना कर दिया।
बुद्ध ने एक बार फिर बालिका से अपनी बात दोहराई इस बार बालिका ने साहस के साथ कुवें से पानी निकाला और स्वयम भी पीया और गौतम बुद्ध को भी दिया और पानी पिने के बाद बुद्ध ने बालिका से उसके भय का कारण पूंछा।
तब उस बालिका ने बताया मुझे सयोंग से राजा के दरबार में गाने का अवसर मिला था और राजा ने मेरा गीत सुन मुझे अपनी गले की माला पुरस्कार सरूप दी लेकिन उन्हें किसी ने बताया की, “में एक अछूत लड़की हूँ और यह जानते ही राजाने मुझे अपने सैनिक को मुझे जेल में डालने के लिए बोल दिया।”
में किसी तरह उन सैनिकों से बचकर यहाँ तक पहुँच गइ और आप मिल गए। इस पर बुद्ध ने कहा की, सुनो राजन में चाहता हूँ की आप मेरी इस शब्द को हमेशा याद रखे, “कोई भी मनुष्य की पहचान उसके धर्म और जाती से नहीं बल्कि उसके स्वभाव या उसके अच्छे काम से होती है।”
जिस बालिका के मधुर कंठ से निकले मधुर गीत का आपने आनंद उठाया, उसे पुस्कार दिया और जिसके कार्य इतने अच्छे हों वह अछूत हो नहीं सकती और उस बालिका के साथ नीची सोच और छोटे कार्य करके अछूत होने का परिचय तो आपने दिया है।
इसीलिए मेरे नज़रों में यह बालिका नहीं बल्कि आप अछूत है तभी राजा बुद्ध के सामने शर्मिंदा होने के अलावा और कर भी क्या सकते है। उन्होंने बुद्ध से शमा मांगी और वह से चले गए।
सीख:
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की कोई भी इंसान अपने कार्यों और कर्मों से बड़ा बनता है बल्कि अपने धर्म या जाती से नहीं।
शिष्य की कहानी – Gautam Buddha Motivational Story In Hindi
गौतम बुद्ध के मठ का यह नियम था की उनका कोई शिष्य जब भी कभी बुद्धत्व को प्रात कर लेता तब उसे कहा जाता की एक दिशा में चले जाव और आस-पास के जो लोग है उनका ज्ञान वर्धन, उनकी जो आत्मा और चेतना जागृत करने का प्रयास करो और उनको सद मार्ग पर लाना है।
उनका एक शिष्य था जो ६ साल से मठ में रह रहा था और तपस्या कर रहा था। एक दिन वह परेशान हुआ और सोचने लगा की मेरे गुरुदेव ने मुझे आदेश क्यों नहीं दिया। इसी बात पर नाराज होकर वह गौतम बुद्ध के पास गया और कहने लगा की, “मेरी तपस्या में ऐसी क्या कमी रह गयी?”
क्या मेने ज्ञान अर्जित नहीं किया और अबतक आपने मुझे आदेश नहीं दिया की जाव जाकर किसी दूसरे जगह पर अपना ज्ञान बांटों और क्या मेने बुद्धत्त्व प्राप्त नहीं किया है। तभी गौतम बुद्ध ने शिष्य से कहा, “सुनो तुम्हे थोड़ा और समय लगेंगा यही समय बिताओं।” यह बात सुनकर वह शिष्य चीड़ गया और कहने लग गया की, “गुरुदेव आप के ज्ञान में कमी रह गयी और आप मुझे ज्ञान नहीं दे पाए।”
गौतम बुद्ध को लगा की ये समझेगा नहीं और कहा ठीक है कल सुबह पूर्व दिशा में एक गांव है वह जाना और वहासे भिक्षा लेकर आना और अपना पूरा दिन वही बिताना और कोशिश करना की वहा के लोगों को थोडासा ज्ञान बाटना और आकर मुझे बताना की अनुभव कैसा रहा।
वह शिष्य बड़ा खुश हुआ और उसको लगा की अब तो बात बन गयी अब मुझे आदेश मिल गया और वह दूसरे दिन सुबह पूर्व दिशा की उस गांव में चला गया और शाम में जब वापस आया तो हाथ में पट्टी बंधी थी और हाथ-पैरों पर चोट निशान थे।
ये देखर गौतम बुद्ध ने उस शिष्य से पूछा की ये क्या हाल कर लिया तब उसने बताया की आपने मुझे कैसे गांव में भेज दिया और वहा पर जब मेने भिक्षा मांगी तो लोग मुझे डांटने लगे और भगाने लगे। एक व्यक्ति सिर्फ वहा पर मुझे भिक्षा दी वो भी जमीं पर फेंककर और कहा की ले जावों इसको।
इतने बुरे गांव में आपने मुझे ज्ञान बांटने के लिए भेजा अब आप मुझे कल किसी और गांव भेज देना मैं जाकरके ज्ञान वहा देकर आता हूँ। गौतम बुद्ध यह सुनकर थोड़ा मुस्कुराये और उन्हें तो पता था की ये कुछ कर नहीं पाएंगा और कहा की ठीक है अगले दिन तुम किसी और गांव जाना लेकिन एक दिन के बाद जाना और एक दिन मठ में रुके रहना है।
अब की बार गौतम बुद्ध ने अपने दूसरे शिष्य को उस गांव में भेजा जहा अपने उस शिष्य को भेजा था और शाम में जब वह शिष्य वापस लौटा था तो उसकी भी हालत वही थी और हाथ-पैरों में चोट लगी और पट्टी बंधी हुई थी।
गौतम बुद्ध ने पहले वाले शिष्य के सामने दूसरे शिष्य से पूंछा की हुआ क्या था? तब उसने कहा की जिस गांव में आपने मुझे भेजा था वह के लोग बड़े भोले-भाले है। भिक्षा दे नहीं रहे थे और एक व्यक्ति ने मुझे जमीं पर फेककर भिक्षा दी और मैंने उसे स्वीकार कर लिया और उसे आशीर्वाद दिया की तुम्हारा कल्याण हो।
तो वह व्यक्ति चौंक गया और कहने लगा की आप गजब के इंसान हो में आपको जमीन पर फेककर भिक्षा दी और आप मुझे कल्याण हो का आशीर्वाद दिया तब मेने उसे कहा की में अपना कर्तव्य निभाउंगा और आप भी बड़े दानी है और आपने मुझे भिक्षा दी है।
उसके बाद में जब वह से निकल रहा तब मैंने देखा की एक बच्चा बीमार था और में जंगल में गया तब वहा से जड़ी-बूटी लाने और जब में लौट रहा था तब कुछ लोगोने मुझे पकड़ लिया और पूछने लगे की यह जड़ी-बूटी कहा लेकर जा रह हूँ तब मेने उनसे निवेदन किया की मुझे छोड़ दो एक बीमार छोटे बच्चे की मदत करनी है और तब उन्होंने मुझे छोड़ दिया।
जब में गांव में वापस आकर उस बच्चे की मलहम पट्टी कर रहा था तो तभी गांव वाले मुझपर हमला करने लगे तब उस दानी व्यक्ति ने जिसने मुझे जमीन पर फेककर भिक्षा दी थी उसने गांव वालों को रोका और कहा की यह ठीक व्यक्ति है और इसे अपना काम करने दो जब मेने जड़ी-बूटी लगाई तो बच्चा ठीक हो गया और सब मेरे लिए तालिया बजाने लगे।
सभी गांव वाले कहने लगे की कल फिर आयेंगा। गुरुदेव मुझे कल फिर उस गांव में भेजिएगा क्यूंकि वह बड़े ही भोले लोग है समझते नहीं है बस प्यार बहोत है और अबकी बार कोशिश करूंगा की थोड़ा प्यार और उनके पास पहुँचाने का और ज्ञान उनतक पहुंचाने का वो सब ज्ञानी तो लेकिन बस जब अनजान व्यक्ति से बात करनेमे डरते है।
वो जो पहला शिष्य था जो एक दिन पहले उसे गांव में गया था वह सुन रहा था और समझ रहा था और गौतम बुद्ध की चरणों में गिरकर बोला की, “गुरुदेव कमी तो मुझमे ही थी आपने ज्ञान तो बहुत सारा दिया लेकिन में उसे आचरण में नहीं ढाल पाया और में अहंकार को ऊपर रखा और उसी गांव के लोगों को पहचान नहीं पाया और मार खाकर चला आया और मार तो इन्होने भी खाई लेकिन इनका अहंकार मिट चुका है और ये समझ चुके है की वह लोग भोले-भाले है और हमे उनसे अलग तरीकों से व्यवहार करना होगा और ज्ञान को आचरण में ढाल कर उन लोगो तक पहुँचाना होगा।”
सीख:-
अच्छा इंसान बनने पर ध्यान दीजिये अच्छा समय अपने आप चला आयेंगा। हम अच्छा समय लाना चाहते है लेकिन अच्छा इंसान नहीं बन पाते है और सारी गड़बड़ बस यही हो जाती है।
Nmo budhay 🙏🙏✍️
Thanks