Class 2 Short Moral Stories In Hindi: छोटे बच्चों को कहानियां सुनना और पढ़ना बहुत ही पसंद होता है। इन कहानियों में जैसे कि फेयरी टेल्स, परियों की कहानियाँ, जादुई कहानियाँ, प्रेरणादायक कहानियाँ, मजेदार कहानियाँ और जीवन के सबक सिखाने वाली कहानियाँ। बच्चों को उत्साहित करने, सिखाने और मनोरंजन करने वाली कहानियां उनकी पसंदीदा होती हैं। छोटी कहनी इन हिंदी ऐसी होती है जो बच्चों को काल्पनिक दुनिया की कहानियों से वास्तविकता की एक नेक सीख देती है जो उनपर अच्छे संस्कार ढालने में मदद करती है।
Class 2 Short Moral Stories In Hindi इस आर्टिकल में बच्चों के १० ऐसी मजेदार कहानियां है जो उन्हें पढ़ने और सुनने में मजा आएंगा और इन कहानियों से उन्हें एक अच्छी सीख भी मिलेंगी।
Class 2 Short Moral Stories In Hindi
1. चतुर कौवा
एक दिन भरी गर्मी की दोपहर थी और उसी रात की आंधी में कौवे का घोंसला पेड़ से उड़कर गिर गया था। बेचारा कौआ दूसरे दिन सुबह से ही अपना घोंसला बनाने में जुटा हुआ था। रात तक उसे अपना घोंसला तैयार करना था नहीं तो वह कहां सोता।
तिनके, चीथड़े, पत्ते चुनते-चुनते वह थक गया और पेड़ की एक डाल पर सुस्ताने बैठ गया। थकान की वजहसे से उसे जोरों की प्यास लगी थी। कौए ने चारों ओर पानी की खोज में अपनी नजरें दौड़ाईं पर उसे कहीं भी पानी दिखाई नहीं दिया।
नाही किसी गड्ढे में पानी जमा था और नाही ही कोई टपकने वाला नल ही था। तभी कौवें को दूर कहीं उसे एक मिट्टी का घड़ा दिखाई दिया। कौवा उड़कर उस घड़े के पास गया। उसने घड़े के अंदर झांका तो उसमें पानी तो दिखा, पर वह बहुत नीचे था।
कौवा चाहकर भी पानी तक नहीं पहुंच सकता था और पानी देखकर उसकी प्यास और बढ़ गई थी। तभी कौवे एक उपाय सूझा और उसने पास ही में एक मकान, बन रहा था। वहां काफी सारे कंकड-पत्थर पड़े थे। कौवा वहां गया और एक पत्थर अपनी चोंच में उठाकर लाया और पानी के घड़े में गिरा दिया।
इसी तरह बार-बार जाकर कौवा एक-एक पत्थर चोंच में लाकर वह घड़े में डालता रहा। थोड़ी ही देर में पत्थर के कारण पानी ऊपर आ गया। कौवे ने जी भरकर पानी पीकर अपनी प्यास बुझा ली। तृप्त आत्मा अब प्रसन्न थी। अपनी बुद्धि के कारण वह पानी पीने में सफल हो गया था।
शिक्षाः जहां चाह वहा राह जरूर होती है।
2. जादुई हंस – Class 2 Short Moral Stories In Hindi
एक गांव में एक किसान रहता था। उसके पास बहुत थोड़ी जमीन थी। थोड़ी जमीन के कारण उसमे सीमित अनाज पैदा होता था, जिससे उसका गुजारा मुश्किल से चल पाता था।
किसान के पास एक बहुत ही सुंदर जादुई हंस थी और किसान उसे बहुत प्यार करता था। वह हर रोज सुबह एक सुनहरा अंडा दिया करती थी। किसान उसे जौहरी को जाकर बेच देता और उससे जो पैसा मिलता, उससे उसका दिन आराम से गुजर जाता था।
एक दिन किसान के मन में लालच आ गया। उसने सोचा, “यह हंसनी तो रोज एक अंडा देती है और इस हिसाब से तो मैं कभी धनवान नहीं हो पाऊंगा। इस हंस के पेट में तो बहुत सारे अंडे होंगे। अगर उन अंडों को में निकालकर सबको बेच दूं तो एक दिन में धनवान बन जाऊंगा।”
ऐसा विचार करते-करते उसकी आंख लग गयी। रात उसने एक सपना देखा। सपने में उसने खुद को धनवान देखा। बड़ा घर, नौकर-चाकर और ढेर सारी सुख-सुविधाएं थीं। सुबह उठकर उसने अपने चाकू से हंस को मारकर उसका पेट काट दिया।
किसान के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। उसे एक भी अंडा पेट में नहीं मिला। उसे अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था। दुःखी किसान जोर-जोर से रोने लगा। उसकी आमदनी का अकेला जरिया उसकी लालच के कारण खत्म हो गया था।
शिक्षाः लालच का सदा बुरा अंत होता है।
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3. एकता का बल
किसी गांव में एक बहुत मेहनती किसान रहता था। उसके पास थोड़ी सी जमीन थी। वह दिन-रात मेहनत करके खेती करता था। किसान की खेती पर ही जीविका थी। मेहनती किसान के पांच बेटे थे और वे सभी बहुत ही आलसी और कामचोर थे।
अपने पिता की मदद करने की जगह वे दिन भर मटरगश्ती करते और छोटी-छोटी बात पर आपस में लड़ते रहते। ऐसा है ही समय बिताता गया और वह मेहनती किसान बूढ़ा हो गया।
एक दिन किसान चिंता होने लगी और उसने सोचा “मेरे पांचों बेटे दिन भर आपस में लड़ते रहते हैं और नाही ही कुछ कम करते है। अगर ऐसा यह पांचों करते रहे तो मेरी मृत्यु के बाद तो ये आपस में लड़कर जमीन का बंटवारा कर देंगे।
यह जमीन मेरे पांचों बेटों के लिए पर्याप्त नहीं होगी और दूसरे इसका लाभ उठाएंगे। मुझे कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे इन्हें एक अच्छा सबक मिले….” ऐसा सोचकर किसान ने कुछ लकड़ियां लेकर एक गट्ठर बनाया और अपने बच्चों को बुलाया। किसान ने अपने पांचों बेटों को वह गट्ठर तोड़ने के लिए दिया।
एक के बाद एक पांचों भाईओं ने भरपूर कोशिश की, परंतु उनमे से कोई भी उसे तोड़ नहीं पाया। तभी एक बेटे ने कहा, “पिताजी, यदि आप इस गट्ठर को खोलकर दें तो इसे तोड़ने मे आसानी होगी।”
किसान मुस्कराया और बोला, “बिल्कुल सही कहा तुमने। यदि तुम सब अकेले रहोगे तो बाकी लोग तुम्हारा लाभ उठाने की कोशिश करेंगे। परंतु यदि तुम सब साथ रहोगे तो, कोई तुम्हारा बाल भी बांका नहीं कर पाएगा।”
अपने पिता की सलाह बच्चों को समझ में आ गई और उसी दिन से उन्होंने आपस में लड़ना बंद कर दिया और प्रेमपूर्वक रहने और साथ मिलकर खेती भी करने लगे।
शिक्षाः मिलकर रहने में ही भलाई है, क्योंकि एकता में ही बल होता है।
4. तोता और नन्हीं चींटी
यह बहुत पुरानी बात है, एक बहुत बड़ी नदी थी। उसके किनारे आम का एक बहुत बड़ा पेड़ था और गर्मियों में उसमें खूब सारे मीठे और रसीले आम लगते थे, जिनके भार के कारण पेड़ की सारी डालियां आम के वजन से झुक जाती थीं।
उसी पेड़ पर बहुत सारे तोतें भी रहते थे। उन्हों बहुत सारे आम खाने को मिलते थे, इसलिए उन्हें बहुत मजा आता था और अपने परिवार के साथ पेड़ पर आराम से रहते थे। आम के पेड़ के नीचे ही चीटियों का भी घर था। चींटियों को भी गर्मियों में खूब आम खाने को मिलते थे।और सभी चीटियां खुशी-खुशी पेड़ के निचे रह रही थी।
एक दिन एक तोता अपने घोंसले में बैठा हुआ नदी की ओर देख रहा था। तभी अचानक उसकी नजर नदी में डूबती एक चींटी पर पड़ी। वह चीटी खुद को पानी में डूबने से बचने की बहुत कोशिश कर रही थी। नदी के पानी का बहाव बहुत ही तेज था, फिर भी चीटी हिम्मत नहीं हार रही थी।
यह देखकर तोते ने अपनी चोंच से आम के पेड़ से एक पत्ता तोड़ा और चींटी के पास जाकर उस पत्ते को नदी में गिरा दिया। तैरते पत्ते को देखकर चींटी उस पर चढ़ गई। धीरे-धीरे वह पत्ता किनारे आ गया और चींटी की जान बच गई।
तोते का यह एहसान चींटी कभी भुला नहीं पाई और रोज बदले में कुछ करने का मौका ढूंढने लगी। एक दिन एक शिकारी आम के पेड़ के पास आया और उसने देखा कि पेड़ पर बहुत सारे तोतें रहते हैं। शिकारी अपने तीर कमान से उसी तोते पर निशाना साधने लगा। तभी चींटी खाना लेकर अपनी घर में जा रही थी।
चीटी ने शिकारी को उसी तोते पर निशाना साधते देखा जिसने चींटी की जान बचाई थी। वह चुपके से शिकारी के पांव से चढ़कर उसकी आंख तक पहुंच गई और जोर से उसकी आंख पर काट लिया। वह तीर चलाने ही वाला था कि दर्द से छटपटाकर चिल्ला पड़ा।
शिकारी की आवाज की गूंज से सभी तोतें सावधान होकर उड़ गए और तोते की जान तो बच गई पर उसे कभी यह नहीं पता चल पाया कि उसकी जान बचाने वाली नन्हीं सी-चींटी है। चींटी तोते की जान बचाकर मन ही मन बड़ी प्रसन्न थी।
शिक्षाः कर भला तो हो भला।
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5. होशियार लोमड़ी – Class 2 Short Moral Stories In Hindi
एक बार एक कौआ अपने लिए खाने की तकश में कचरे के ढेर पर चक्कर काट रहा था। तभी अचानक से उसे हड्डी का एक टुकड़ा दिखाई दिया। कौवा रोज सूखे फलों को खाकर अपना गुजारा करते-करते ऊब चुका था। पर अब कौवें को वह हड्डी देखकर उसके मुंह में पानी भर आया।
कौवें ने तुरंत कचरे के ढेर के पास जाकर अपनी चोंच में हड्डी के टुकड़े को उठाया और एक छत पर जाकर बैठ गया। एक होशियार लोमड़ी चाट के पास से गुजर रही थी तभी उसने कौए के मुंह में हड्डी देखी तो लोमड़ी के मन में हड्डी पाने के लिए लालच जागी
होशियार लोमड़ी ने कौए से कहा, “मेरे प्यारे भाई, शायद आप मुझे नहीं जानते हैं, परंतु मैं आपके मित्र की मित्र हूं। आपने अपने मित्र के जन्मदिन पर एक प्यारा सा गाना गाया था। वे बता रहे थे कि आपकी आवाज बहुत ही मधुर है। आज मेरा जन्मदिन है, तो भैया क्या आप मेरे लिए एक गाना नहीं सुनाएंगे?”
कौआ लोमड़ी के मुँह से अपनी तारीफ सुनकर, बहुत ही खुश हो गया और उसके मन खुशी के मारे लडडू फूटने लगे तभी कौवेने सोचा, “अहा! लोमड़ी मेरी तारीफ कर रही है और आज इसका जन्मदिन है, मैं इसके लिए एक प्यारा गाना जरूर गाऊंगा।”
कौए ने अपने पंख फड़फड़ाए, सिर को दाएं-बाएं हिलाया और जोर-जोर से कांव-कांव करने लगा तभी उसके मुंह खोलते के साथ ही हड्डी का टुकड़ा, सीधा लोमड़ी के सामने गिर पड़ा और होशियार लोमड़ी को हड्डी का टुकड़ा मिलते ही वहा से दम दबाके भाग गयी और बेचारा भूखा कौवा अपनी इस मूर्खता पर पछताता रह गया।
शिक्षा: चापलूसों पर कभी विश्वास मत करों।
6. दो मित्र – Class 2 Short Moral Stories In Hindi
एक लकड़हारा था और वह अपने बेटे के साथ जंगल जाकर लकड़ियां काटकर लाता था। जब उसके पास थोड़ा ज्यादा पैसा और लकड़ियां जमा हो गयीं, तो उसने अपने घर में ही लकड़ियों का गोदाम बना लिया। लकड़ियां घर बनाने और जलाने के काम आती थीं, इसलिए लकड़हारे के काफी ग्राहक बन गए थे।
लकड़हारे के बेटे रॉन की गांव में कई लोगों से दोस्ती और पहचान हो गई थी। पर उसका सबसे अच्छा और जिगरी मित्र हामिद था। हामिद रॉन के पिता के गोदाम पर अपना ठेला लेकर आता और अपनी मां के लिए लकड़ियां खरीद कर ले जाता था।
ऐसी ही धीरे-धीरे हामिद और रॉन में गाढ़ी मित्रता हो गई। दोनों खेलते-खेलते जंगल चले जाते और मजे करते। एक दिन दोनों मित्र जंगल में टहल रहे थे, तभी उन्हें एक बहुत बड़ा, काला भालू दिखाई दिया।
हामिद और रॉन दोनों भालू को देखकर डर के मारे कांपने लगे आत्भी रॉन को पेड़ पर चढ़ना आता था। भालू को अपनी ओर आता देखकर वह तुरंत पेड़ की सबसे ऊंची डाली पर चढ़कर पत्तों में छिपकर बैठ गया।
हामिद पेड़ पर चढ़ना नहीं आता था इसीलिए हामिद वही शांत खड़ा रहा। तभी उसी याद आया की उसने स्कूल में पढ़ा था की भालू कभी भी मृत जानवरों को नहीं खाता है। तभी वह तुरंत अपनी सांस रोककर जमीन पर लेट गया।
भालू हामिद के पास आया और उसने हामिद का मुंह सूंघा। हामिद बिना डरे अपनी सांस रोककर लेटा रहा। भालू ने उसे मृत समझकर छोड़ दिया और चुपचाप वहा से चला गया।
भालू के जाने के बाद रॉन पेड़ से उतरा। उसने हामिद को हिलाया और पूछा, “भालू ने तुम्हारे कान में क्या कहा?” रॉन के इस मूर्खतापूर्ण प्रश्न पर हामिद को बहुत आश्चर्य हुआ। वह मुस्कराया और बोला, “ भालू ने कहा कि वह पेड़ पर बैठा लड़का तुम्हारा मित्र नहीं है।” यह कहकर रॉन को हैरान-परेशान छोड़कर हामिद चला गया।
शिक्षा: मित्र वही है जो मुसीबत में काम आए।
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7. कुत्ता और हड्डी
एक गांव में सड़क के किनारे एक कसाई की दुकान थी। सड़क के कुत्ते मांस और हड्डी के टुकड़े के लालच में दिनभर उसकी दुकान के इर्द-गिर्द मंडराते रहते थे। एक दिन एक कुत्ता वहां से गुजर रहा था। कसाई उस दिन बड़ा ही खुश और गाना गाते हुए अपना काम कर रहा था। तभी कसाई को उस कुत्ते को देखकर दया आ गई। उसे लगा कि कुत्ता बहुत ही भूखा है और कुत्ते को कुश करने के लिए कसाई ने एक हड्डी का टुकड़ा उठाकर कुत्ते की तरफ फेंक दिया।
कुत्ता हड्डी को देखकर बहुत प्रसन्न हो गया। उसे लगा कि वह बहुत ही भाग्यशाली है जो उसे यह रसभरा हड्डी का टुकड़ा मिला है। उस टुकड़े को अपने मुंह में दबाकर वहा से चलने लगा। तभी अचानक कुत्ते के मन में विचार आया कि दूसरे कुत्तों के देखने से पहले ही उसे हड्डी के टुकड़े को कहीं छुपा देना चाहिए।
यह विचार करके कुत्ता नदी के दूसरी ओर के खेत में हड्डी छुपाने के लिए चल दिया। रस्ते में पुल पर चढ़कर जाते समय उसने नीचे देखा तो उसे एक दूसरा कुत्ता मुंह में हड्डी लिए जाता हुआ दिखाई दिया।
कुत्ता तभी पुल पर खड़ा होकर नीचे वाले कुत्ते को देखने लगा। वह कुत्ता भी रुककर उसे देखने लगा। कुत्ते ने सोचा, “अरे, इस कुत्ते के पास तो बिल्कुल मेरे जैसी हड्डी है। अगर मैं इसे डरा कर भगा दूं तो मुझे दो हड्डी मिल जाएंगी।”
पल पर खड़ा कुत्ता धीरे से गुर्राया पर उसे लगा की नीचे वाला कुत्ता भी गुरर्रा रहा है। अब पल पर खड़ा कुत्ता जोर से भौंका और जैसे कुत्ते का मुंह खुला तभी उसके मुंह की हड्डी नीचे नदी के पानी में जा गिरी और पानी की लहर उठी और लहर के साथ नीचे का कुत्ता भी गायब हो गया।
कुत्ता बेचारा पुल पर आश्चर्यचकित सा खड़ा रह गया और उसे समझ ही नहीं आया कि क्या हुआ है। बस उसे इतना समझा आया कि उसकी हड्डी उससे दूर चली गई थी।
शिक्षा: जो है उसमे खुश रहना चाहिए और उसीमे ही परम सुख होता है।
8. किसान और साप
एक दिन सुबह-सुबह एक किसान अपने खेत में टहल रहा था। ठंड बहुत थी और रात में बारिश भी जोरों की हुई थी। रास्ते से चलते हुए अचानक किसान को सांप का एक बच्चा दिखाई दिया। ठंड से उसकी हालत बहुत ही बुरी हो गई थी। किसान को लगा कि यदि उसे तुरंत मदद नहीं मिली तो जरूर ही उसकी मृत्यु हो जाएगी।
किसान ने ध्यानपूर्वक उसे उठाया और अपने घर लाकर आग के सामने रख दिया। थोड़ी देर में सांप के बच्चे के शरीर में गर्मी से हरकत आ गई। फिर किसान ने उसे कुछ खिलाया-पिलाया और उस दिन के बाद से वह साप का बच्चा घर के सदस्य की तरह घर में रहने लगा।
किसान खुद उस बच्चे को खिलाता-पिलाता था और घर के सदस्य की तरह होने के कारण सभी आश्वस्त थे कि यह काटेगा नहीं। समय के साथ सांप का बच्चा अब बड़ा हो गया वह तगड़ा और जहरीला भी हो गया था।
एक दिन जब किसान का पुत्र पालने में सोया हुआ था तो सांप पालने पर चढ़ गया। जैसे ही वह पुत्र को काटने वाला था, किसान की पत्नी ने देख लिया और चीख पड़ी, “हे भगवान्!” और बेहोश होकर जमीन पर गिर गई। तभी उसकी चीख सुनकर किसान दौड़ा आया और उसने भी पालने पर चढ़े सांप को देख लिया।
किसान ने सांप को बच्चे को काटने से पहले ही बड़ी फुर्ती से अपने हाथों से पकड़कर एक बोर में डाल दिया और उस सांप को बहुत दूर जंगल में छोड़ दिया जहा से वह सांप कभी वापस घरपर ना आ पाए।
शिक्षा: दॄष्ट प्रवृत्ति वालों पर कभी भी भरोसा नहीं रखना चाहिए।
9. खट्टे अंगूर – छोटी कहानी इन हिंदी
एक गांव के पास घना जंगल था जहा एक लोमड़ी रहती थी। एक दिन लोमड़ी दिनभर जंगल में खाने की खोज में घूमती रही पर उसे कुछ भी खाना नहीं मिला। उसे बहुत भूख लगी थी और भूख के मारे लोमड़ी कमजोर होने लगने लगी थी और वह बहुत बेचैन हो रही थी।
जंगल में भटकने के बाद उसे एक गांव दिखा जहा अंगूर का बगीचा लोमड़ी को दिखाई दिया। लोमड़ी उस बगीचे में चली गयी और उसने चारों ओर नजरें दौड़ाईं पर आस-पास कोई भी नहीं था।
लोमड़ी ने देखा की ऊपर लकड़ी के खांचों पर काले-काले रसीले अंगूर लटक रहे थे। लोमड़ी के मुंह में रसीले अंगूरों को देखकर पानी आ रहा था। उसने सोचा “काश! मुझे अंगूरों का एक गुच्छा मिल जाता, तो मैं जी भरकर इन्हें खा लेती।”
लोमड़ी ने अंगूर खाने के लिए उछली पर अंगूर बहुत ऊंचे लटके थे। एक बार, दो बार, कई बार लोमड़ी ने उछलकर अंगूर तोड़ने की कोशिश की पर सब बेकार गया। लोमड़ी को कुछ देर बाद ऐसा लगा जैसे अंगूर उसे देखकर चिढ़ा रहे हों।
लोमड़ी सब करने के बाद अंगूर खाने में नाकामयाब रही और उसने मन ही मन सोचा, “शायद ये सब अंगूर खट्टे हैं। “यह सोचकर लोमड़ी चुपचाप भूखे पेट वापस जंगल में चली गई।
शिक्षाः जिसे हम पाने में असमर्थ होते हैं, उसे हम बेकार कहकर नकार देते हैं।
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10. दो मेंढक – Class 2 Short Moral Stories In Hindi
एक गांव में एक मिठाई की बहुत बड़ी दुकान थी। मिढ़ाई की दुकान के पीछे के बरामदे में रोज तजि मिठाई बनाया जाती थी। इसलिए बरामदे पर चीनी, मक्खन, दूध से भरे बड़े-बड़े कटोरे रखे थे। मिठाई बनाने की जगह थोड़ी गंदी भी थी और वह मक्खी मच्छर भिनभिना करते थे।
तभी दो मेंढक पानी की तलाश में वहां पहुंच गये और पर वहा उन दोनों मेंढकों को बहुत सारे मच्छर और कीड़ें नजर आए। तभी दोनों मेंढकों ने पेट भरकर मच्छरों और कीड़ों का भोजन किया और फिर उस मिढ़ाई बनाने की जगह की छानबीन करने लगे।
दोनों मेंढकों को वह दूध से भरा बड़ा हंडा दिखाई दिया। दोनों ने उसे आश्चर्य से देखा और सोचा, “भला यह कैसा जलाशय है।” एक मेंढक ने दूसरे से कहा, “चलो इसमें कुदकर देखते हैं।”
फिर क्या था दोनों मेंढक इस विचार से राजी हो गए और हंडे में कूद पड़े। तभी एक मेंढक ने दूसरे मेंढक से कहा, “अरे, यह तो दूसरे जलाशयों से अलग है। इसमें मुझे तैरने में तो बहुत दम लग रहा है। मैं तो थक गया हूं, बाहर निकलना चाहता हूं।”
तभी दूसरे मेंढक ने कहा, “हां, मैं भी बहोत ही थक रहा हूं।”
पहले मेंढक ने अपने बहुत हाथ-पैर मारे और हंडे पर चढ़ने की जीतोड़ कोशिश भी की पर वह बार-बार हंडे की चिकनाहट की वजहसे फिसल जाता था। अपनी कोशिशों में वह इतना थक गया कि हिम्मत हारकर उसने तैरना भी बंद कर दिया और उसमे डूबकर हंडे की तली में चला गया।
दूसरे मेंढक ने यह देखा पर उसने अपनी हिम्मत नहीं हारी। वह लगातार तैरता रहता और वह बहुत थक गया था फिर भी तैरता ही रहा। तभी अचानक उसने देखा कि कुछ गाढ़ी सी चीज दूध पर तैरने लगी। उसके तैरते रहने से दूध में से मक्खन निकल आया था। मेंढक उस मक्खन पर चढ़कर बैठ गया, अपनी सांसे ठीक की और फिर जान बचाने के लिए कुदकर बाहर आ गया।
शिक्षाः धैर्य और दृढ़ विश्वास के द्वारा किसी भी मुसीबत से निबटा जा सकता है।
आपको Class 2 Short Moral Stories In Hindi कैसी लगी हमे कमेन्ट करके के जरूर बाताए और ऐसे ही हिंदी की छोटी कहानी इन हिंदी पढ़ने के लिए Hindi Ki Story के साथ जुड़ते रहे ! आपका धन्यवाद !