Panchvati Story In Hindi | पंचवटी की कहानी

Panchvati Story In Hindi:- देश के पांच प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में नासिक पंचवटी की गणना होती हैं। पंचवटी एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। पंचवटी तीर्थ स्थल महाराष्ट्र के नासिक जिले में पवित्र गोदावरी नदी के तट पर बसा है।

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पंचवटी एक बहुत ही शांत जगा है जो की हिन्दू महाकाव्य रामायण से बहुत ही गहरा संबंध रखती है। पंचवटी में पांच बरगद के पेड़ों का समूह है इसी वजहसे इस जगह का नाम पंचवटी पड़ा ऐसा कहा जाता है।
पंचवटी अपनी गौरव और धार्मिक संस्कृती के लिए बहुत अधिक लोकप्रिय है और आपकी जानकारी के लिए बता दे यह वही जगा है जहा माता सीता का हरण हुआ था और कहा जाता है की भगवान राम ने अपने चौदह वर्ष के वनवास का लंबा समय उन्होंने सीता और लक्ष्मण के साथ इसी पवित्र भूमि पंचवटी में बिताया था। इस लेख में पंचवटी की कहानी है।

Panchvati Story In Hindi:- पंचवटी की कहानी

Panchvati Story In Hindi | पंचवटी की कहानी
पंचवटी की कहानी

एक दिन पंचवटी के जंगल में सूरज की रोशनी पड़ी थी, हवा में बारिश के बूंदो की सुगंध भी घुल रही थी और कुछ ही देर में अचानक जंगल में शांति भंग हो गयी।

कुछ ही देर में जंगल में एक भयानक हंसी गूंज उठी जो की शूर्पणखा की थी। शूर्पणखा रावण की बहन थी और वह उसकी क्रूरता के लिए वह पुरे जंगल में प्रसिद्ध थी।

उस दिन वह राम को मिलने आयी थी पर शूर्पणखा के मिलने की असल वजह राम को विवाह का प्रस्ताव रखने आई थी।

शूर्पणखा की इस वजह को लक्ष्मण ने समज लिया था और उन्होंने शूर्पणखा को साफ़ कह दिया की वह पहले सेही विवाहित है और शूर्पणखा का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया तभी क्रोध से भरी शूर्पणखा ने सीता जी का रूप धारण कर लेकिन कुछ ही देर में लक्ष्मण ने शूर्पणखा के इस छल और कपटी रूप को देख लिया और लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी।अपमानित शूर्पणखा अपने भाइयों खर-दूषण के पास चली गयी और उन्हें अपने अपमान का बदला लेने को कहा।

कुछ ही दिनों बाद खर-दूषण अपनी सेना के साथ पंचवटी में लड़ाई के लिए आये और राम अकेलही उनका सामना करने के लिए खड़े हो गए। लक्ष्मण भी उनका साथ देना चाहते थे पर राम ने उन्हें सीता का रक्षा का दायित्व सौंपा था।

राम और खर-दूषण और उनकी सेना के बिच भयंकर युद्ध हुआ और इस युद्ध की वजहसे पंचवटी का जंगल काँप उठा। राम के बाणों ने रक्षकों मार गिराया और राम के इस वीरता पूर्ण युद्ध को देख कर देवता चकित हो गए थे। अंत में खर और दूषण दोनों भी राम के हाथो मारे गए और यह देख उनकी सेना भाग गयी।

इस युद्ध के बाद पंचवटी के जंगल में शांति छा गयी पर यह शांति ज्यादा दिन नहीं टिक पाई। एक दिन सीता जंगल में सुंदर हिरन को देखकर मोहित हो गयी और उन्होंने राम को उस हिरन को लाने की जिद की तभी वह सीता को ना नहीं कह सके और और उस हिरन को लाने घने जंगल में चले गए।

लक्ष्मण सीता की रक्षा करते हुए पर्णकुटी के बहार बैठे हुए थे।

रावण जो सीता जी के सौंदर्य पर मोहित था और उसे अपने बहन शूर्पणखा और अपने भाइयों का बदला लेना था। उसे इसी दिन के मौके का इन्तजार था। उस दिन रावण ने अपने राक्षस मारीच को हिरन बनके सीता को मोहित करने को कहा था और उसी हिरन को लाने राम जंगल में चले गए।

कुछ देर बाद राम वापस नहीं लौटे तो सीता को चिंता होने लगी और उन्होंने लक्ष्मण को जंगल जाकर राम को देखने के लिए कहा पर उन्होंने सीता से कहा “मुझे राम जी ने आपकी रक्षा करने को कहा है और में आपको छोड़कर कही नहीं जा सकता हु” पर सीता के आग्रह करने पर लक्ष्मण भी राम को ढूडने जंगल चले गए और इसी बात का फायदा उठाकर रावण ने एक भिखारी का रूप धारण कर पर्णकुटी के बाहर भिक्षा मांगने आ गया।

जैसे ही रावण ने भिक्षा मांगी तभी सीता पर्णकुटी से बाहर आई और उन्हें भिक्षा देने लगी यह देख रावण अपने असली रूप में वापस आ गया और सीता का हरण कर उन्हें अपने साथ ले गया।

कुछ देर बाद जब लक्ष्मण ने राम को खोज लिया और दोनों साथ में वापस पर्णकुटी आगये पर उन्हें पर्णकुटी में सीता नहीं दिखी तभी दोनों सीता को खोजने के लिए जंगल गए तभी रास्ते में उन्हें जटायु गिद्ध मिला जो सीता के अपहरण का साक्षी बना पर जटायु घायल था यह देख राम ने जटायु का इलाज किया लेकिन सीता के अपहरण का बताते हुए जटायु ने अपने प्राण त्याग दिए।

FAQ:- Panchvati Story In Hindi | पंचवटी की कहानी

  1. पंचवटी जाते समय श्रीराम को कौन मिले थे?
    पंचवटी जाते समय श्रीराम को शूर्पणखा मिली थी।
  2. रामायण में पंचवटी कहां स्थित है?
    पंचवटी तीर्थ स्थल महाराष्ट्र के नासिक जिले में पवित्र गोदावरी नदी के तट पर बसा है।
  3. पंचवटी में कौन से पांच पेड़ हैं?
    बरगद के पांच पेड़ है।

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