Swami Vivekananda Motivational Story – स्वामी विवेकानंद ने एक बार कहा था की अपने जीवन का एक लक्ष्य निर्धारित करो और अपने पुरे शरीर को उस लक्ष्य से भर दो और हर दूसरे विचार को अपने दिमाग से निकाल दो यही सफल होने का मूलमंत्र है।
हमसे कई लोग डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सहाब को इंस्पिरेशन मानते है पर लेकिन पता है कलाम सहाब किसे अपनी इंसपिरेशन मानते है और वो थे स्वामी विवेकानंद जी को और देखा जाए तो निकोला टेस्ला, लाल बहादुर शास्री, सुभाषचंद्र बोस जैसे कई महान लोग स्वामी विवेकानंद जी को इंस्पिरेशन मानते है।
साधु की कहानी – Swami Vivekananda Motivational Story
एक बार स्वामी जी को नदी पार करनी था और वो नदी किनारे खड़े थे। तभी एक साधु ने उनके पास आकर पूंछा, “क्या आप ही स्वामी विवेकानंद हो।”
तभी स्वामी जी बोले हां में ही हूँ। साधु ने स्वामी जी से कहा आप नदी किनारे क्या कर रहे है और स्वामी जी ने जवाब देते हुए कहा की मुझे नदी पार करनी है और नाव आने का राह देख रहा हु।
तभी साधु ने कहा, “तुम इतने बड़े इंसान हो और कई सारे लोग तुम्हे प्रेरणा मानते है और तुम एक नदी पार नहीं कर सकते हो।” देखो में तुम्हें पार करके दिखा देता हूँ तभी वह साधु पानी पर चलकर नदी पार की और वापस पानी पर चलकर ही स्वामी जी के पास लौटकर आया।
साधु बोला देखो मेरे पास इतनी शक्ति, टैलेंट और इतना ज्ञान होने बावजूद मुझे कोई नहीं जानता है। लेकिन तुम्हारे पास कोई शक्ति नहीं कोई ज्ञान नहीं लेकिन तुम्हे सब जानते है।
तभी स्वामी विवेकानंद मुस्कुराये और साधु से पूछा तुम्हे यह विद्या सिखने में कितना टाइम लगा और साधु ने कहा १५ साल इतने में स्वामी जी की नाव आगई और उन्होंने साधु को अपने साथ नाव में बैठाकर दोनों ने नदी पार की और स्वामी जी ने अपनी जेब से एक रुपया निकाला और उस नाव वाले को किराया दे दिया।
तभी स्वामी जी साधु से कहा जो काम तुम सिर्फ ५० पैसे में कर सकते थे उसके लिए तुमने अपने जिंदगी के १५ साल बर्बाद कर दिए और वही तुम ये साल अगर समाज की सेवा और भलाई में लगाते तो आज तुम्हे भी यह दुनिया जानती और मेने यही किया इसीलिए मुझे पूरी दुनिया जानती है और तुम्हें कोई नहीं जानता है।
सीख :-
अपने समय को ऐसी जगह लगावो जिसका आपकी जिंदगी में उपयोग हो क्यों की समय से बलवान कुछ भी नहीं होता है।
बंदरो की कहानी – Swami Vivekananda Motivational Story
एक बार स्वामी जी रास्ते से जा रहे थे तभी कुछ बंदर उनके पीछे पड़ जाते है उनमेसे कुछ बंदर उनपर लपक रहे और कुछ उनकी थैली लेनी की कोशिश कर रहे होते है।
स्वामी जी उन बंदरों से पीछा छुड़ाने के लिए वहा से भागने लगे और बंदर भी उनके पीछे-पीछे भागे जा रहे थे।
तभी यह सब रास्ते से जा रहा एक आदमी देखता है और कहता है की, “स्वामी जी डरो मत इनका सामना करो और आप जितना डरेंगे ये उतनाही आपको डराएंगे।”
तभी स्वामी जी पीछे मुड़ते है और बंदरों पर चीखते है तभी सभी बंदर डर कर उनका पीछा करना छोड़ देते है।
सीख :-
इन्ही बंदरों की तरह होते है हमारे नेगेटिव थॉट्स जिनसे हम डरते है और जितना ज्यादा हम डरते है ये उतना ज्यादा ही हमे डराएंगे इसीलिए निगेटिव थॉट्स से डरो मत बल्कि उनका सामना करो।
मूर्तिकार की कहानी – Swami Vivekananda Motivational Story
एक बार स्वामी जी उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस जी के साथ जा रहे तभी रास्ते में उन्हें एक मूर्तिकार मिला और गुरु रामकृष्ण परमहंस जी ने उस आदमी से पूछा की तुम इसपर क्या बना रहे हो।
वह मूर्तिकार बोला में एक राजा की मूर्ति बना रहा हु तभी गुरु रामकृष्ण परमहंस जी ने पूछा क्या तुम्हारे पास उस राजा की कोई तस्वीर है। तभी वह मूर्तिकार बोला नहीं।
फिर गुरु रामकृष्ण परमहंस जी मूर्तिकार से बोले अगर तुम्हारे पास उस राजा की कोई तस्वीर नहीं है तो तुम उसकी मूर्ति कैसे बना लेते हो।
मूर्तिकार ने जवाब दिया भलेही मेरे पास उनकी कोई तस्वीर नहीं है पर मेरे दिमाग में उनकी स्पष्ट तस्वीर छपी हुई है।
कुछ ही देर बाद उस मूर्तिकार ने राजा की सुंदर मूर्ति बना भी ली और स्वामी जी ये सारा दृश्य देख रहे थे और अभी उन्हें अपने सवालों का जवाब मिल गया।
सीख:-
अगर अपने लक्ष्य को प्राप्त करना है तो अपने लक्ष्य की तस्वीर अपने दिमाग में होनी चाहिए तब जाकर आप अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है।